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________________ तैजस और कार्मण शरीर के अवयव नहीं होते। 5. शरीर बंधन नाम-कर्म-पहले ग्रहण किये हुए और वर्तमान में ग्रहण किये जाने वाले शरीर-पुद्गलों के पारस्परिक सम्बन्ध का हेतु-भूत कर्म - (i) औदारिक शरीर बंधन-नाम (ii) वैक्रिय शरीर बंधन-नाम (iii) आहारक शरीर बंधन-नाम (iv) तैजस शरीर बंधन-नाम (v) कार्मण शरीर बंधन-नाम कर्म-ग्रंथ में शरीर बंधन-नाम कर्म के 15 भेद- ये निम्न लिखित हैं(1) औदारिक-औदारिक बंधन नाम (2) औदारिक-तैजस बंधन नाम (3) औदारिक-कार्मण बंधन नाम वैक्रिय-वैक्रिय बंधन नाम वैक्रिय-तैजस बंधन नाम (6) वैक्रिय-कार्मण बंधन नाम (7) आहारक-आहारक बंधन नाम (8) आहारक-तैजस बंधन नाम (9) आहारक-कार्मण बंधन नाम (10) औदारिक-तैजस कार्मण नाम (11) वैक्रिय-तैजस कार्मण नाम (12) आहारक-तैजस कार्मण नाम (13) तैजस-तैजस कार्मण बंधन नाम (14) तैजस-कार्मण बंधन नाम (15) कार्मण-कार्मण बंधन नाम औदारिक, वैक्रिय और आहारक ये तीन शरीर परस्पर विरोधी है। इसलिए इनके पुद्गलों का आपस में सम्बन्ध नहीं होता। 6. शरीर संघातन नाम-कर्म- शरीर के गृहीत और गृह्यमाण पुद्गलों की यथोचित व्यवस्था या संघात के निमित्त कर्म-पुद्गल। (1) औदारिक शरीर संघातन-नाम (2) वैक्रिय शरीर संघातन-नाम 166 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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