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________________ १३. ज्ञानाराधना तप५ तप तप वंदना तेला या एकान्तर तीन उपवास और दो आयम्बिल जप णमो नाणस्स बारह हजार जप क्रिया पांच लोगस्स का कायोत्सर्ग, पांच वंदना नोट-इसी प्रकार दर्शनाराधना व चारित्राराधना की विधि है-मंत्र-णमो दसणस्स, णमो चरित्तस्स। १४. नमस्कार तप६ नमस्कार महामंत्र के प्रत्येक पद के जितने अक्षर उतने उपवास उसी पद की इक्कीस माला और अपने-अपने गुणों के अनुरूप क्रमशः १२, ८, ३६, २५, २७ लोगस्स का कायोत्सर्ग। १५. परमेष्ठी गुण तप जप कायोत्सर्ग श्वेत वर्ण के १२ आयम्बिल णमो अरहंताणं, १२ लोगस्स का | १२ वंदना २० माला लाल वर्ण के आयम्बिल णमो सिद्धाणं ८ लोगस्स का | ८ वंदना ८ माला पीत वर्ण के ३६ आयम्बिल णमो आयरियाणं, ३६ लोगस्स का । ३६ वंदना ३६ माला हरित वर्ण के २५ आयम्बिल णमो उवज्झायाणं, २५ लोगस्स का | २५ वंदना २५ माला स्याम वर्ण के २७ आयम्बिल णमो लोए सव्व साहणं, २७ लोगस्स का | २७ वंदना २७ माला यह तप एकान्तर आयम्बिल के रूप में भी किया जा सकता है और एक-एक पद की एक-एक ओली के रूप में भी किया जा सकता है। १६. अष्टकर्म सूदन तप इस तप में सिद्ध भगवान के आठ गुणों का क्रमशः जप किया जाता है जिसकी विधि निन्न प्रकार से है १०२ / लोगस्स-एक साधना-२
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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