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________________ प्रयोग १. दुःस्वप्न निवारण ६ आसन सुप्त वज्रासन, मत्स्यासन, विपरीत करणी नौकासन, हृदयसूतंभनासन प्राणायाम दीर्घश्वास, उज्जाई, सूक्ष्म भनिका-५ मिनट प्रेक्षा दर्शन केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान-१० मिनट अनुप्रेक्षा संकल्प-सोने से पहले ४ लोगस्स का ध्यान, सोते समय योग-निद्रा का प्रयोग-१५ मिनट जप चंदेसु निम्मलयरा १० मिनट मुद्रा नमस्कार मुद्रा ध्यान लोगस्स का ध्यान प्रयोग विधि कायोत्सर्ग की मुद्रा रीढ़ की हड्डी और गर्दन सीधी रहे, आँखें कोमलता से बंद। श्वास के साथ चार लोगस्स का ध्यान करें। लाभ अतिशीघ्र नींद आती है, नींद में दुःस्वप्न नहीं आते। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि आत्मा के जागरण अर्थात् परमात्मा के द्वार पर दस्तक देने के लिए संसार के घटते-बढ़ते व्यक्तित्व का बारीकी से अध्ययन होना अनिवार्य है क्योंकि परमात्मा के पास सुनने के लिए कान हो या न हो किंतु किसी के हृदय की स्पन्दना को ग्रहण करने के तार अवश्य हैं। उस तार को लोगस्स के कायोत्सर्ग के द्वारा आसानी से जोड़ा जा सकता है। संदर्भ १. जीवन विज्ञान की रूपरेखा-पृ./१३४ २. अपना दर्पण अपना बिम्ब-पृ./६६ ६२ / लोगस्स-एक साधना-२
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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