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________________ कायोत्सर्ग का कालमान अभिभव कायोत्सर्ग का कालमान जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट एक वर्ष का है। चेष्टा कायोत्सर्ग दैवसिक, रात्रिक, पाक्षिक, चातुर्मासिक और संवत्सरिक रूप में पांच प्रकार का है। कायोत्सर्ग में मन को श्वास पर केन्द्रित किया जाता है। एदर्थ इसका कालमान श्वास गिनती से किया जाता है। यह कायोत्सर्ग विभिन्न स्थितियों में ८, २५, २७, ३००, ५०० और १००८ उच्छ्वास तक किया जाता है। कायोत्सर्ग में श्वासोच्छ्वास की गिनती लोगस्स व नमस्कार महामंत्र की संपदानुसार की जाती है। नमस्कार महामंत्र में ८ श्वासोच्छ्वास और लोगस्स में २८ श्वासोच्छ्वास का कायोत्सर्ग होता है। श्वासोच्छ्वास प्रमाण कायोत्सर्ग में अमुक श्वासोच्छ्वास प्रमाण-ऐसा जो शास्त्रीय विधान है उसमें श्वासोच्छ्वास से मतलब हम जो श्वास ले रहे हैं, छोड़ रहे हैं उससे नहीं है। यहाँ श्वासोच्छ्वास गाथा का एक पद समझना चाहिए। उदाहरणार्थ, लोगस्स उज्जोयगरे-इस एक चरण का एक श्वासोच्छ्वास गिनना। इस तरह एक गाथा के चार श्वासोच्छ्वास हुए। एक लोगस्स में चंदेसु वाले पद्य तक गिनने से २५, सागरवर पद्य तक गिनने से २७ और सिद्धा सिद्धिं मम दिसंत तक गिरने से २८ श्वासोच्छ्वास होते हैं। षडावश्यक में जो कायोत्सर्ग किया जाता है उसमें अतिचारों के अतिरिक्त प्रमुख रूप से लोगस्स-चतुर्विंशति स्तव का ध्यान, किया जाता है। षडावश्यक में कायोत्सर्ग कायोत्सर्ग प्रायश्चित का पांचवां भेद है।२७ आवश्यक सत्र में प्रतिक्रमण आवश्यक के पश्चात् कायोत्सर्ग आवश्यक का विधान है। प्रतिक्रमण में अतिचारों की विशुद्धि के लिए विधिपूर्वक कायोत्सर्ग का स्वरूप बताया गया है। आत्मविकास की प्राप्ति के लिए शरीर संबंधी समस्त चंचल व्यापारों का त्याग करना ही इस सूत्र का प्रयोजन है। आत्मा को विशेष उत्कृष्ट बनाने के लिए, शल्यों का त्याग करने के लिए तथा पापों का नाश करने के लिए कायोत्सर्ग किया जाता है। गमन, आगमन, विहार, शयन, स्वप्न-दर्शन, नावादि से नदी संतरण, ईर्यापथिक प्रतिक्रमण-इनमें २५ श्वासोच्छ्वास का कायोत्सर्ग किया जाता है। सूत्र के उद्देश, समुद्देश के समय २७ श्वासोच्छ्वास का कायोत्सर्ग तथा अनुज्ञा प्रस्थापना एवं काल प्रतिक्रमण में ८ श्वासोच्छ्वास का कायोत्सर्ग होता है। अनुयोग द्वार में लोगस्स और कायोत्सर्ग / ८१
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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