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________________ श. ८ : उ. ८ : सू. ३२७-३३२ भगवती सूत्र हैं। वह वेदन नौ परीषहों का करता है। शेष छह प्रकार के कर्म का बंध करने वाले सराग छद्मस्थ की भांति वक्तव्य है। ३२८. भंते! कर्म का बंध न करने वाले अयोगी भवस्थ केवली के कितने परीषह प्रज्ञप्त हैं? गौतम! कर्म का बंध न करने वाले अयोगी भवस्थ केवली के ग्यारह परीषह प्रज्ञप्त हैं। वह वेदन नौ परीषहों का करता है। जिस समय शीत-परीषह का वेदन करता है, उस समय उष्ण-परीषह का वेदन नहीं करता। जिस समय उष्ण-परीषह का वेदन करता है, उस समय शीत-परीषह का वेदन नहीं करता। जिस समय चर्या-परीषह का वेदन करता है, उस समय शय्या-परीषह का वेदन नहीं करता। जिस समय शय्या-परीषह का वेदन करता हैं, उस समय चर्या-परीषह का वेदन नहीं करता। सूर्य-पद ३२९. भंते! जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में सूर्य दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं? मध्याह्न के मुहूर्त में निकट होने पर भी दूर दिखाई देते हैं? अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं? हां, गौतम! जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में सूर्य दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं। मध्याह्न के मुहूर्त में निकट होने पर भी दूर दिखाई देते हैं। अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं। ३३०. भंते ! जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में, मध्याह्न के मुहूर्त में और अस्तमन के मुहूर्त में सूर्य ऊंचाई की दृष्टि से सर्वत्र तुल्य होते हैं? हां, गौतम! जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में, मध्याह्न के मुहूर्त में और अस्तमन के मुहूर्त में सूर्य ऊंचाई की दृष्टि से सर्वत्र तुल्य होते हैं। ३३१. भंते! यदि जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में, मध्याह्न के मुहूर्त में और अस्तमन के मुहूर्त में सूर्य ऊंचाई की दृष्टि से सर्वत्र तुल्य होते हैं तो यह कैसे कहा जाता है-जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में सूर्य दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं, यावत् अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं? गौतम! तेज का प्रतिघात होने के कारण उदय के मुहूर्त में सूर्य दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं, तेज का अभिताप होने के कारण मध्याह्न के मुहूर्त में निकट होने पर भी दूर दिखाई देते हैं, तेज का प्रतिघात होने के कारण अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं। गौतम! इस कारण से यह कहा जाता है-जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य उदय के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं यावत् अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं। ३३२. भंते ! क्या जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य अतीत क्षेत्र में गमन करते हैं? वर्तमान क्षेत्र में गमन करते हैं? अनागत क्षेत्र में गमन करते हैं? गौतम! जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य अतीत क्षेत्र में गमन नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र में गमन करते हैं, अनागत क्षेत्र में गमन नहीं करते। ३१०
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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