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________________ भगवती सूत्र श. ८ : उ ८ : सू. २९५-३०१ गौतम ! गुरु को अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे-आचार्य का प्रत्यनीक, उपाध्याय का प्रत्यनीक, स्थविर का प्रत्यनीक । २९६. भंते! गति की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! गति की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे- इहलोक - प्रत्यनीक, परलोक- प्रत्यनीक, उभयलोक - प्रत्यनीक । २९७. भंते! समूह की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! समूह की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे-कुल- प्रत्यनीक, गण-प्रत्यनीक, संघ- प्रत्यनीक । २९८. भंते! अनुकंपा की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! अनुकंपा की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे - तपस्वी - प्रत्यनीक, ग्लान- प्रत्यनीक, शैक्ष- प्रत्यनीक । २९९. भंते! श्रुत की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! श्रुत की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे - सूत्र - प्रत्यनीक, अर्थ- प्रत्यनीक, तदुभय- प्रत्यनीक । ३००. भंते! भाव की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! भाव की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे-‍ - ज्ञान - प्रत्यनीक, दर्शन - प्रत्यनीक, चारित्र - प्रत्यनीक | पांच व्यवहार पद ३०१. भंते! व्यवहार कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है ? गौतम ! व्यवहार पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-आगम, श्रुत, आज्ञा, धारणा और जीत । जहां आगम हो वहां आगम से व्यवहार की प्रस्थापना करें । जहां आगम न हो, श्रुत हो वहां श्रुत से व्यवहार की प्रस्थापना करे । जहां श्रुत न हो, आज्ञा हो वहां आज्ञा से व्यवहार की प्रस्थापना करे । जहां आज्ञा न हो, धारणा हो, वहां धारणा से व्यवहार की प्रस्थापना करे । जहां धारणा न हो, जीत हो, वहां जीत से व्यवहार की प्रस्थापना करे । इन पांचों से व्यवहार की प्रस्थापना करे - आगम से, श्रुत से, आज्ञा से, धारणा से और जीत I जिस समय आगम, श्रुत, आज्ञा, धारणा और जीत में से जो प्रधान हो, उसी से व्यवहार की प्रस्थापना करे । भंते! आगमबलिक श्रमण-निर्ग्रथों ने इस विषय में क्या कहा है ? इन पांचों व्यवहारों में जब-जब जिस-जिस विषय में जो व्यवहार हो, तब-तब वहां-वहां ३०५
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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