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________________ भगवती सूत्र लब्धि- पद १३९. भंते! लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! लब्धि दस प्रकार की प्रज्ञप्त है, - लब्धि ४. चरित्राचरित्र - लब्धि ५. ८. उपभोग-लब्धि ९. वीर्य - लब्धि १०. इन्द्रिय-लब्धि । १४०. भंते! ज्ञान -लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे- आभिनिबोधिक - ज्ञान - लब्धि यावत् केवल -ज्ञान- लब्धि । १४१. भंते! अज्ञान-लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-मति - अज्ञान - लब्धि, श्रुत- अज्ञान-लब्धि और विभंगज्ञान-लब्धि । श. ८ : उ. २ : सू. १३९-१४८ जैसे- १. ज्ञान - लब्धि २. दर्शन - लब्धि ३. चरित्र - दान - लब्धि ६. लाभ -लब्धि ७. भोग-लब्धि १४२. भंते! दर्शन-लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे - सम्यग् - दर्शन - लब्धि, मिथ्या - दर्शन - लब्धि और सम्यग् - - मिथ्या-दर्शन-लब्धि । १४३. भंते! चरित्र लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! वह पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे - सामायिक - चरित्र - लब्धि, छेदोपस्थापनीय - चरित्र - - लब्धि, परिहारविशुद्धि चरित्र - लब्धि, सूक्ष्मसंपराय चरित्र - लब्धि, यथाख्यात - चरित्र - लब्धि । १४४. भंते! चरित्राचरित्र - लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! वह एक ही आकार वाली प्रज्ञप्त है। इस प्रकार यावत् उपभोग-लब्धि एक ही आकार वाली प्रज्ञप्त है । १४५. भंते! वीर्य-लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! वह तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे - बाल - वीर्य - लब्धि, पण्डित - वीर्य-लब्धि और बाल - पण्डित - वीर्य - लब्धि । १४६. भन्ते । इन्द्रिय-लब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! वह पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे- श्रोत्रेन्द्रिय-लब्धि यावत् स्पर्शनेन्द्रिय-लब्धि । ज्ञान- लब्धि की अपेक्षा ज्ञानित्व अज्ञानित्व - पद १४७. भंते! ज्ञान-लब्धि वाले जीव क्या ज्ञानी हैं ? अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं हैं। कुछ दो ज्ञान वाले हैं, इस प्रकार यावत् पांच ज्ञान की भजना है। १४८. भंते! उस ज्ञान के अलब्धिक ज्ञान - लब्धि से रहित जीव ज्ञानी हैं ? अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी नहीं हैं, अज्ञानी हैं। कुछ दो अज्ञान वाले हैं, तीन अज्ञान की भजना है। २८१
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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