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________________ भगवती सूत्र श. ७ : उ. ९ : सू. २०३-२१० प्रतिक्रमण किया, समाधि में लीन हो गया, कुछ समय पश्चात् मृत्यु को प्राप्त हुआ । नागनप्तृक वरुण के मित्र का पद २०४. उस नागनप्तृक वरुण का प्रिय बालसखा रथमुसल संग्राम में लड़ रहा था, एक पुरुष द्वारा गाढ़ प्रहार किये जाने पर वह प्राण, बल, वीर्य, पुरुषकार और पराक्रमरहित हो गया । शरीर अब टिक नहीं पाएगा, यह चिन्तन कर रहा था। उसने देखा - नागनप्तृक वरुण रथमुसल - संग्राम की भूमि से लौट रहा है, यह देख कर उसने घोड़ों की लगाम खींची, खींच कर वरुण की भांति यावत् घोड़ों को विसर्जित किया, वस्त्र के बिछौने पर गया, जा कर पूर्व की ओर मुंह कर, पर्यंकासन में बैठ दोनों हथेलियों से निष्पन्न सम्पुट वाली दस-नखात्मक अंजलि को सिर के सम्मुख घुमा कर भाल पर टिकाकर इस प्रकार बोला- मेरे प्रिय बालसखा नागनप्तृक वरुण के जो शील, व्रत, गुण, विरमण, प्रत्याख्यान और पौषघोपवास हैं वे सब मुझे भी उपलब्ध हो। यह कह कर कवच को खोला, खोलकर बाण को निकाला, निकालकर कुछ समय पश्चात् मृत्यु को प्राप्त हुआ । २०५. नागनप्तृक वरुण को दिवंगत हुआ जानकर पार्श्ववर्ती वाणमन्तर- देवों ने दिव्य सुरभि गंध वाला जल बरसाया, पांच वर्ण के फूलों की वर्षा की, दिव्य गीत गाए और गन्धर्व - निनाद किया । २०६. नागनप्तृक वरुण की वह दिव्य देव ऋद्धि, दिव्य देव द्युति और दिव्य देव-सामर्थ्य के संवाद को सुन कर देख कर बहुत जनों ने परस्पर इस प्रकार आख्यान किया यावत् प्ररूपणा की— देवानुप्रियो ! बहुत मनुष्य नाना प्रकार के संग्रामों में अभिमुख रहते हुए प्रहत हुए हैं, वे काल-मास में काल (मृत्यु) को प्राप्त कर किसी भी देवलोक में देव के रूप में उपपन्न हुए हैं । भन्ते ! नागनप्तृक वरुण काल मास में काल को प्राप्त कर कहां गया है ? कहां उपपन्न २०७. हुआ है ? गौतम ! वह सौधर्म-कल्प में अरुणाभ - विमान में देव रूप में उपपन्न हुआ है। वहां कुछ देवों की स्थिति चार पल्योपम की प्रज्ञप्त है। वहां नागनप्तृक वरुण देव की स्थिति भी चार पल्योपम की प्रज्ञप्त है । २०८. भन्ते! वह वरुण देव आयु-क्षय, भव-क्षय और स्थिति-क्षय के अनन्तर उस देवलोक से च्यवन कर कहां जाएगा ? कहां उपपन्न होगा ? गौतम! वह महाविदेह-क्षेत्र में सिद्ध, प्रशान्त, मुक्त और परिनिर्वृत होगा, सब दुःखों का अन्त करेगा । २०९. भन्ते ! नागनप्तृक वरुण का प्रिय बालसखा काल मास में काल को प्राप्त कर कहां गया है ? कहां उपपन्न हुआ है ? गौतम ! वह अच्छे मनुष्य- कुल में उत्पन्न हुआ है। २१०. भन्ते ! वह उस जन्म के अनन्तर उद्वर्तन कर कहा जाएगा? कहां उपपन्न होगा ? २५४
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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