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________________ भगवती सूत्र श. ३ : उ. ७ : सू. २५९-२६६ २५९. ये निम्नांकित देव देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज यम के पुत्र के रूप में पहचाने जाते हैंसंग्रहणी गाथा अंब, अम्बरीष, श्याम, शबल, रुद्र, उपरुद्र, काल महाकाल, असिपत्र, धनु, कुम्भ, बालुक, वैतरणी, खरस्वर और महाघोष ये पन्द्रह देव यम के पुत्रस्थानीय हैं। २६०. देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज यम की स्थिति त्रिभाग अधिक एक पल्योपम की प्रज्ञप्त है। उसके पुत्र-रूप में पहचाने जाने वाले देवों की स्थिति एक पल्योपम की प्रज्ञप्त है। लोकपाल यम ऐसी महान् ऋद्धि वाला यावत् महान सामर्थ्य वाला है। वरुण-पद २६१. भन्ते! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण का स्वयञ्जल नाम का महाविमान कहां प्रज्ञप्त है? गौतम! उस सौधर्मावतंसक महाविमान के पश्चिम भाग में स्वयञ्जल नाम का महाविमान है। इसके विमान, राजधानी और प्रासादावतंसक तक का वर्णन सोम की भांति ज्ञातव्य है। केवल नामों को भिन्नता है। २६२. देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण की आज्ञा, उपपात, वचन और निपर्देश में रहने वाले देव ये हैं वरुणकायिक, वरुणदेवकायिक, नागकुमार, नागकुमारियां, उदधिकुमार, उदधिकुमारियां, स्तनितकुमार, स्तनितकुमारियां। इस प्रकार के जितने अन्य देव हैं। वे सब देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण के प्रति भक्ति रखते हैं, उसके पक्ष में रहते हैं, उसके वशवर्ती रहते हैं तथा उसकी आज्ञा, उपपात, वचन और निर्देश में अवस्थित २६३. जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिण भाग में जो ये स्थितियां उत्पन्न होती हैं, जैसे-अतिवर्षा, मन्दवर्षा, सुवृष्टि, दुर्वृष्टि, उदकोद्भेद (निर्झर) उदकोत्पीड़, (पानी का अतिप्रवाह), अप्रवाह, प्रवाह, ग्राम-वाह, यावत् सन्निवेश-वाह, प्राण-क्षय, जन-क्षय, धनक्षय, कुल-क्षय, तथा और भी इस प्रकार की अनिष्ट आपदाएं, वे सब देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण तथा उन वरुणकायिक देवों से अज्ञात अदृष्ट, अश्रुत, अस्मृत और अविज्ञात नहीं होती। २६४. ये निम्नांकित देव देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण के पुत्र के रूप में पहचाने जाते हैं, जैसे–कर्कोटक, कर्दमक, अंजन, शंखपालक, पुण्ड्र, पलाश, मोद, जय, दधिमुख, अयंपुल और कातरिक। २६५. देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण की स्थिति कुछ कम दो पल्योपम की प्रज्ञप्त है। उसके पुत्र-रूप में पहचाने जाने वाले देवों की स्थिति एक पल्योपम की प्रज्ञप्त है। लोकपाल वरुण ऐसी महान् ऋद्धि वाला यावत् सामर्थ्य वाला है। १४३
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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