SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र श. ३ : उ. २ : सू. ११९-१२६ गौतम ! इस प्रकार देवेन्द्र देवराज शक्र अपने हाथ से असुरेन्द्र असुरराज चमर को नहीं पकड़ सकता । १२०. गौतम ! देवेन्द्र देवराज शक्र की ऊंची, नीची और तिरछी गति के विषय में कोन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम! देवेन्द्र देवराज शक्र एक समय में सबसे थोड़ा क्षेत्र अधो- लोक को अवगाहित करता है । तिरछे - लोक में वह उससे संख्येय भाग अधिक गति करता है और ऊर्ध्व-लोक में उससे संख्येय भाग अधिक गति करता है। १२१. भन्ते ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की ऊंची, नीची और तिरछी गति के विषय में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर एक समय में सबसे थोड़ा क्षेत्र ऊर्ध्व - लोक को अवगाहित करता है । तिरछे - लोक में वह उससे संख्येय भाग अधिक गति करता है और अधो-लोक में उससे संख्येय भाग अधिक गति करता है । १२२. भंते! वज्र की ऊंची, नीची और तिरछी गति के विषय में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! वज्र एक समय में सबसे थोड़ा क्षेत्र अधो- लोक का अवगाहित करता है। तिरछे - लोक में वह उससे विशेषाधिक भाग में गति करता है और ऊर्ध्व लोक में उससे विशेषाधिक गति करता है। १२३. भन्ते ! देवेद्र देवराज शक्र के नीचे जाने के समय और ऊपर जाने के समय में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हे ? गौतम! देवेन्द्र देवराज शक्र के ऊपर जाने का समय सबसे थोड़ा है। नीचे जाने का समय उससे संख्येयगुणा अधिक है । १२४. शक्र की भांति चमर की वक्तव्यता । केवल इतना अन्तर है - नीचे जाने का समय सबसे थोड़ा है। ऊपर जाने का समय उससे संख्येयगुणा अधिक है। १२५. वज्र के विषय में पृच्छा । गोतम ! वज्र के ऊपर जाने का समय सबसे थोड़ा है, नीचे जाने का समय उससे विशेषाधिक है । १२६. भन्ते ! वज्र, वज्राधिपति शक्र और असुरेन्द्र असुरराज चमर के नीचे जाने के समय और ऊपर जाने के समय में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! शक्र के ऊपर जाने और चमर के नीचे जाने के समय ये दोनों तुल्य हैं और सबसे अल्प हैं। शक्र के नीचे जाने और वज्र के ऊपर जाने का समय-ये दोनों तुल्य हैं और उससे संख्येयगुणा अधिक हैं । चमर के ऊपर जाने और वज्र के नीचे जाने का समय - ये दोनों तुल्य हैं और उससे विशेषाधिक हैं। १२४
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy