SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (X) प्रकाशित हो चुके हैं। प्रथम अंग का प्रथम श्रुतस्कन्ध आयारो संस्कृत-भाष्य तथा हिन्दी अनुवाद-सहित प्रकाशित हो चुका है, पर द्वितीय श्रुतस्कन्ध आचार-चूला का कार्य अभी शेष है। तीसरी ग्रन्थमाला दो आगमों दशवैकालिक एवं उत्तराध्ययन के समीक्षात्मक अध्ययन का प्रकाशन हो चुका है। चौथी ग्रन्थमाला इसके अंतर्गत होने वाले कार्य के स्वरूप का निर्धारण होना शेष है। पांचवीं ग्रन्थमाला इसके अंतर्गत दशवैकालिक एवं उत्तराध्ययन के वर्गीकृत संस्करण-धर्म प्रज्ञप्ति १,२ के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं। छठी ग्रन्थमाला 'आगम हिन्दी अनुवाद ग्रन्थमाला' में अब तक दो आगमों का केवल हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हो चुका है१. दशवैकालिक २. उत्तराध्ययन। इन्हें एक ही ग्रंथ में प्रकाशित किया गया है-'दशवकालिक और उत्तराध्ययन' (वि.सं. २०३१, जैन विश्व भारती, लाडनूं) आगम हिन्दी अनुवाद ग्रंथमाला के अंतर्गत यह दूसरा पुष्प-भगवती सूत्र (व्याख्याप्रज्ञप्ति) प्रकाशित किया जा रहा है। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा (कोलकाता) द्वारा आगम प्रकाशन का कार्य आरम्भ हुआ, तभी से श्रीचंदजी रामपुरिया का यह सुझाव रहा कि अंग्रेजी के 'Sacred Books of the East Series' की तरह आगम-ग्रन्थों के हिन्दी-अनुवाद मात्र की एक ग्रंथमाला आरम्भ की जाए। तदनुसार दशवैकालिक-उत्तराध्ययन का प्रकाशन जैन विश्व भारती द्वारा हुआ था। उसके पश्चात् काफी समय का अन्तराल हो गया। अब भगवती सूत्र जैसे महत्त्वपूर्ण और विशालकाय आगम के हिन्दी अनुवाद का प्रकाशन संभव हुआ है। गुरुदेव श्री तुलसी की विद्यमानता में ही भगवई (भाष्य) का प्रथम खण्ड प्रकाशित हो चुका था। तत्पश्चात् आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की विद्यमानता में तीन खण्ड और प्रकाशित हो गए थे। पांचवां खण्ड अभी तक प्रेस में चल रहा है। छठे खण्ड का लेखन आचार्यश्री महाश्रमणजी के निर्देशन में चालू है। इसी बीच भगवती सूत्र का यह ग्रन्थ प्रकाशनार्थ तैयार हो गया। दो खण्डों में इस आगम को पाठकों के हाथों में समर्पित करते हुए हम अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के पश्चात् समग्र आगम-कार्य का निदेशन आचार्यश्री महाश्रमणजी कर रहे हैं। यद्यपि प्रस्तुत संस्करण का
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy