SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय वाचना-प्रमुख गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी एवं संपादक, अनुवादक, विवेचक मुनिश्री नथमलजी (आचार्यश्री महाप्रज्ञ) के निदेशन में आगम-वाङ्मय का कार्य सन् १९५५ में प्रारम्भ हुआ था। प्रकाशन की योजना इस प्रकार बनाई गई१. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला-मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण। २. आगम-अनुसंधान ग्रन्थमाला-मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण। ३. आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला-आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण। ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला-आगमों से संबंधित कथाओं का संकलन और हिन्दी अनुवाद। ५. वर्गीकृत-आगम ग्रन्थमाला-आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । ६. आगमों के केवल हिन्दी अनुवाद के संस्करण। प्रारम्भ में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा तथा बाद में जैन विश्व भारती को प्रकाशन का दायित्व दिया गया। क्वचित् जैन विश्व भारती इंस्टीट्यूट (मान्य विश्वविद्यालय) के अंतर्गत भी कुछ आगम प्रकाशित हुए हैं। पहली ग्रन्थमाला समग्र ३२ आगमों का प्रकाशन हो चुका है। आगम शब्दकोश (अंगसुत्ताणि शब्दसूची) में समग्र ११ अंगों की शब्दसूची तथा उवंगसुत्ताणि एवं नवसुत्ताणि के परिशिष्ट में क्रमशः १२ उपांगों तथा ४ मूल, ४ छेद एवं आवश्यक की समग्र शब्दसूची भी प्रकाशित हो चुकी है। दूसरी ग्रन्थमाला अब तक १. दसवेआलियं २. उत्तरज्झयणाणि ३. सूयगडो (भाग १,२) ४. ठाणं ५. समवाओ ६. भगवई (भाष्य-सहित) खण्ड १ से ४ (शतक १-१६) ७. नायाधम्मकहाआ ८. उवासगदसाओ ९. नन्दी १०. अणुओगदाराई-ये दश आगम
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy