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मानसिक दुःख की चिकित्सा
मोह से मन में विकल्प पैदा होते हैं और मन से ही मोह उपशांत होता है। यह मोह के उपशम का अभ्यन्तर उपाय है।
मोह को उपशांत करने का उपाय है समता । यह एक सुखकर आलंबन है। समताभाव की निरन्तर साधना करने पर प्रियता और अप्रियता के क्षणों से निरन्तर बचने पर असीम आनंद प्रकट होता है।
क्रोध, मान, माया, लोभ, राग और द्वेष- ये सब दुःख देने वाले शत्रु हैं। इन्हें समताभाव की साधना के द्वारा ही उपशांत किया जा सकता है।
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१० मार्च
२००६
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आराधना पृ ६६
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