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रंग सहित तीर्थंकर का ध्यान मन की स्थिरता प्राप्त होने के बाद तीर्थंकर का ध्यान करें। चौबीस तीर्थंकरों के शरीर के जो-जो रंग थे, उन-उन रंगों के साथ उनका चिंतन करें।
ध्याता जिस स्थान पर बैठा हो, उससे दो, तीन या चार हाथ की दूरी पर तीर्थंकर को (मानसिक रूप में) स्थापित करें। ऐसा अनुभव करें, मानों साक्षात् रूप से तीर्थंकर विराजमान हैं और उनका आसन स्थिर है। उसके बाद काला, नीला, लाल और श्वेत-इन चारों में जो इष्ट लगे उसी का चिंतन करें।
६ मार्च २००६