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अमनस्क योग (१) मन शांत होने पर अमनस्क अवस्था का निर्माण होता है। उस अवस्था में पूरा शरीर छत्र की भांति पूरा शिथिल हो जाता है और स्तब्धता, अकड़न समाप्त हो जाती है। ____मन निरंतर चुभन पैदा करता रहता है। उस चुभन को दूर करने के लिए अमनस्कता जैसा कोई बड़ा औषध नहीं है।
अमनस्कतया संजयामानया नाशिते मनःशल्ये। शिथिली भवति शरीरं छत्रमिव स्तब्धतां त्यक्त्वा।। शल्यीभूतस्यान्तःकरणस्य क्लेशदायिनः सततम्। अमनस्कतां विनाऽन्यद् विशल्यकरणौषधं नास्ति।
योगशास्त्र १२.३८,३६
२४ जनवरी २००६