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योग और मंत्र (6) मन की समस्या बहुत व्यापक है। मन की शांति और प्रसन्नता के लिए बहुत लोग प्रयत्न करते हैं। प्रयत्न की सफलता के लिए आवश्यक है उपयुक्त समाधान। ___ मानसिक प्रसन्नता स्वाध्याय, ध्यान और मंत्र-तीनों से हो सकती है। आचार्य हेमचंद्र ने मानसिक प्रसन्नता के लिए पापभक्षिणी विद्या का उल्लेख किया है, वह बहुत शक्तिशाली है___ 'ॐ अर्हन्मुखकमलवासिनि! पापात्मक्षयंकरि! श्रुतज्ञानज्वालासहस्रज्वलिते सरस्वति! मत्पापं हन हन दह दह क्षां क्षी दूं क्षौं क्षः क्षीरधवले! अमृतसंभवे! वं वं हूं हूं स्वाहा।।'
चिन्तयेदन्यमप्येनं, मन्त्रं कौघशान्तये। स्मरेत् सत्त्वोपकाराय, विद्यां तां पापभक्षिणीम्।।
. योगशास्त्र ८.७२
२२ जनवरी २००६