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योग और मंत्र ( ५ )
भगवान महावीर के ग्यारह गणधर थे। उनमें विद्या के क्षेत्र में गौतम का नाम प्रथम है। इसीलिए अनेक विद्याओं को गणधर विद्या कहा जाता है।
जिस गणधर विद्या का उल्लेख किया जा रहा है, वह अचिन्त्य फल देने वाली है।
ॐ जोग्गे मग्गे तच्चे भूए भव्वे भविस्से अन्ते पक्खे जिणपासे स्वाहा ।
कामधेनुमिवाचिन्त्य - फल सम्पादन - क्षमाम् । अनवद्यां जपद्विद्यां गणभृद् - वदनोद्गताम् ॥
योगशास्त्र ८.६३
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२१ जनवरी
२००६
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