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योग-माहात्म्य (१) योग एक कुठार है-सर्व विपदारूपी वल्लियों को काटने के लिए तीखी धारवाला कुठार है।
योग एक वशीकरण है। जड़ी-बूटी, मंत्र और तंत्र से रहित वशीकरण (कार्मण) है।
योग का इष्ट विषय है निर्वृति (निर्वाण)।
योग की साधना द्वारा चिरकाल से अर्जित पाप क्षय हो जाते हैं, जैसे इकट्ठा किए हुए ईंधन को अग्नि कुछ क्षणों में जला देती है।
योगः सर्वविपद्वल्ली-विताने परशुः शितः। अमूलमन्त्रतन्त्रं च कार्मणं निर्वृतिप्रियः ।। क्षिणोति योगः पापानि, चिरकालार्जितान्यपि। प्रचितानि यथैधांसि क्षणादेवाशुशुक्षणिः ।।
___ योगशास्त्र १.५,७
७ जनवरी २००६