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योग - माहात्म्य ( २ )
योग के अभ्यास से अनेक योगज विभूतियां उपलब्ध होती हैं। योगी का कफ, श्लेष्म आदि औषधिमय बन जाते हैं।
योग के अभ्यास से संभिन्नस्रोतोलब्धि का विकास होता है। उसके द्वारा योगी एक इन्द्रिय से सभी इन्द्रियों के विषय जान सकता है।
कफविप्रुण्मलामर्श - सर्वौषधि – महर्द्धयः । संभिन्नस्रोतोलब्धिश्च, यौगं ताण्डवडम्बरम् ॥
योगशास्त्र १.८
८ जनवरी
२००६ .
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