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योग के हेतु (२)
आचार्य सोमप्रभ ने योग के पांच हेतु बतलाए हैं
१. वैराग्य-पदार्थ के प्रति होनेवाला अनाकर्षण । २. ज्ञान संपदा
३. असंग - अनासक्ति अथवा निर्लेपता
४. स्थिरचित्तता - चित्त की स्थिरता
५. ऊर्मि और स्मय को सहन करने की शक्ति ।
ऊर्मि शब्द के द्वारा शारीरिक और मानसिक छह अवस्थाओं का ग्रहण किया जाता है-शोक, मोह, जरा, मृत्यु, क्षुधा, पिपासा ।
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वैराग्यं
ज्ञानसंपत्तिरसंगः
स्थिरचित्तता ।
ऊर्मि - स्मय - सहत्वं च पंच योगस्य हेतवः ।। यशस्तिलक ८ आश्वासकल्प ४०
शोकमोहौ जरामृत्यू क्षुत्पिपासे षडूर्मयः । प्राविशद्यन्निविष्टानां न सन्त्यङ्ग षडूमर्यः ॥
श्रीमद्भागवत १०.७०.१७
६ जनवरी
२००६
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