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________________ २५० वाक्यरचना बोध है । कोष्ठक में क्तवतु या क्त प्रत्यय के द्वारा अर्थ स्पष्ट किया गया है । आधु-निक वैयाकरण या प्रयोक्ता क्वसु और कान को साधारण भूत में भी प्रयो करते हैं । क्वसु और कान प्रत्यय के योग में कर्ता में प्रथमा, कर्म में द्वितीया और क्रिया कर्ता के अनुसार होती है । प्रयोगवाक्य सीता कदा बभूववती ? शीतलः तातं प्रश्नं पपृच्छवान् । सागां दुदुहाना । रामः रावणं जघ्निवान् । तस्मै कः पुस्तकं ददिवान् ? बालिका मिष्टान्नं जक्षिवती । मातुली चौरात् बिभीवती । दुग्धं पपिवान्सं बालकं पश्य । विद्यालयं जग्मिवान्सं छात्रं कथय । दुष्करं कार्यं चत्रिवान्सं हनुमन्तं सर्वेऽपि प्रणमति । वित्तं नेशिवान् श्रेष्ठी अत्र समाययौ । रावणं जघ्निवान् रामः दाशरथिरासीत् । महावीरं प्रप्रच्छ्वान् गौतमः कुत्रत्यः आसीत् ? दुष्करं कार्यं चक्राणः एव महान् भवति । (क्वसु, कान के प्रयोग करो) क्या शंकर ने जहर पीया था ? मोहन नौकर जमीन पर सोया था । संस्कृत में अनुवाद करो त्रिपृष्ठ वासुदेव कब हुए थे ? विद्यालय गया था । छात्र ने श्रम किया था । आनन्द ने फल नहीं खाया था । सतीश ने यह पुस्तक पढी थी । राम के वन जाने पर कौशल्या रोई थी । केवलज्ञानियों ने आत्मा को जाना था । द्रौपदी वीतराग देव की स्तवना की थी । मोहन गाय से डरा था । अरविन्द ने किसको प्रश्न पूछा था कृष्ण ने कंस को मारा था । स्त्रियों ने रात में गेहूं पीसा था । सोहन कब जगा था ? दिन में वर्षा हुई थी। शादी के समय युवक नाचे थे । भगवान महावीर से सुधर्मास्वामी ने यह सुना था । सुदत्त ने मुनियों को दान दिया था । पिता ने पुत्र को कुमार्ग से रोका था । भगवान ऋषभ ने बाहुबलि को क्या कहा था ? सुधर्मा को जिसने प्रश्न पूछा वे जम्बू कहां के थे ? महावीर को जिसने प्रश्न पूछा वे गौतम प्रथम गणधर । कंस को जिसने मारा वे कृष्ण मथुरा के थे । अभ्यास १. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करो - सा मम कथनं न शुश्रुवान् । मदनेन तत्वं जज्ञिवान् । रात्रौ नटाः ननृतवान् । सीमा मम पुस्तकं जगृहवान् । पितामही कदा जजागृवान् ? सा कथं रुरुदवान् ? ते ग्रामं ययिवान् । २. निम्नलिखित धातुओं के क्वसु प्रत्यय के रूप बताओ अद्, भी, भू, कृ, विद्, श्रु, हन् । ३. निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करो ददान:, बुबुधानः, रुरुधानः, जगृहाण:, तेनानः, ववन्दानः ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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