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________________ अन्वयार्थ-(जो) जो (तवस्सी) तपस्वी, (वदी) व्रती (मोणी) मौनी, (णाणजुत्तो) ज्ञानयुक्त, (य) और (जिदिदिओ) जितेन्द्रिय हैं (सो वि) वह भी (इत्थीसंगेण) स्त्री-संगति से (अप्पाणं) आत्मा को (कलंकेदि) कलंकित करता है। भावार्थ-जो घोर तपस्वी है, व्रती है, मौन धारण करने वाला है, ज्ञानयुक्त और इन्द्रियों को जीतने वाला है, यदि ऐसा गुण सम्पन्न साधक भी स्त्रियों की निरन्तर संगति करता है, तो वह भी अपने आत्मा को कलंकित करता है अर्थात् लोकापवाद का पात्र होता है, साधारण जनों की तो बात ही क्या है। मोही व सुधी में अंतर असुचिमय-देहम्मि, दुग्गंधे मेज्जमंदिरे। रमंति राइणो थीए, विरज्जंति सुही-जणा॥22॥ अन्वयार्थ-(थीए) स्त्रियों के (दुग्गंधे) दुर्गन्धित (मेज्जमंदिरे) मलमूत्र के घर (असुचिमय-देहम्मि) अशुचिमय देह में (राइणो) रागीजीव (रमंति) रमते हैं [तथा] (सुही-जणा) सुधीजन (विरज्जंति) विरक्त होते हैं। भावार्थ-स्त्रियों के तथा खुद के अत्यन्त दुर्गन्ध युक्त, मलमूत्र, खून पीब से भरे हुए निम्नतम घृणित अशुचिमय शरीर में मूढ-मोही जीव राग करते हैं, किन्तु इसके विपरीत विवेकीजन उससे विरक्त होते है तथा ममत्व का त्याग कर देते है। अब्रह्म के परिणाम मुच्छा-घिणा-भमो-कंपो, समो सेदंगविक्किया। खयरोगादि दोसा य, मेहुणेणं सरीरिणं ॥23॥ अन्वयार्थ-(सरीरिणं) शरीरधारियों को (मेहुणेणं) मैथुन से (मुच्छाघिणाभमोकंपो समो सेदंगविक्किया) मूर्छा, घृणा, भ्रम, कंप, श्रम, स्वेद, अंग विकृति (य) और (खयरोगादि) क्षयरोगादि [अनेक] (दोसा) दोष [होते हैं। भावार्थ-शरीरधारी जीवों को मैथुन करने से अनेक हानियाँ उठानी पड़ती हैं, जिनमें मूर्छा आना, भ्रम-मन की अस्थिरता, शरीर कंपन, श्रम-शारीरिक थकान, पसीना आना, अंग विकृत हो जाना और क्षयरोग आदि अनेक बीमारियाँ और अनेक दोष शामिल हैं। अब्रह्म से गुणों का नाश आऊ तेजो बलं विज्जा, पण्णा धणं महाजसो। पुण्णं सुपीदिमंतं च, णस्संति हि अबंभदो॥24॥ अन्वयार्थ-(अबभदो) अब्रह्मचर्य से, (आऊ तेजो बलं विज्जा पण्णा धणं महाजसो पुण्णं) आयु, तेज, बल विद्या, प्रज्ञा, धन, संपत्ति महायश-पुण्य (च) और 136 :: सुनील प्राकृत समग्र
SR No.032393
Book TitleSunil Prakrit Samagra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain, Damodar Shastri, Mahendrakumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2016
Total Pages412
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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