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________________ झेरं च भंगड पुरं णर वालि-गामं सो बारहे दुव पणास किलो हु जुत्तं ॥25॥ कलिंजरा में जिनप्रभु के जिनालय एवं बाहुबलि को नमन करता हुआ संघ बड़ोदिया में प्रविष्ट करता, फिर बांसवाड़ा में सम्मान प्राप्त कर झेर, भंगड़ा आदि ग्रामों के पश्चात् नरवाली गग्रम को प्राप्त होता है। संघ बारह दिन में 250 किलो मीटर की लंबी यात्रा को करता है। 26 बावीस-जुल्लइ-दिवो अवि सोमवारो अस्सि दिवे मणस-भावण-भत्ति-पुण्णा। मंगिल्ल-वज्ज-जय-सद्द-सुगीद-सुत्ता तेवीसवे दिवस-बासचदुं उवेज्जा ॥26॥ सोमवार 22 जुलाई को नरवाली प्रवेश अति मनभावन एवं भक्तिपूर्ण था। संघ मांगलिक बाद्य जयकारों के शब्दों एवं उत्तम गीतों से युक्त नगर प्रवेश करता है। 23 जुलाई 2002 को चातुर्मास की स्थापना की जाती है। 27 बग्गेरि-राजमल-ठावि-कलस्स-अत्थ पुण्णीम-वीर-जय-सासण-जुत्त-जादो। अस्सिं च खेत्तचदुवास-अभाव जुत्तो वारिं विणा जण-पसूण ठिदी ण सम्मो॥27॥ बगेरिया राजमल परिवार यहाँ कलश की स्थापना करता है। पूर्णिमा में गुरु पूर्णिमा, वीरशासन जयन्ती मनाई जाती है। इसी बीच लोग आचार्य श्री से निवेदन करते हैं कि इस क्षेत्र में चार साल से वरसात नहीं हुई। इसलिए जन समूह एवं पशुओं की स्थिति ठीक नहीं। 28 आसीस-जुत्त-मणुजा परिपुण्ण-णीरं पत्तेंति सोक्ख सुविहिं धण-धण्ण-पुण्णं। सूरिस्स सूर-तवु-वास-पभावएज्जा मासक्कमादु बहुणीर-पवाह-सीला॥28॥ गुरु आशीष युक्त लोग एक माह तक बरसात के जल प्रवाह का आनंद लेते हैं। वे सुख समृद्धि, धन-धान्य को प्राप्त होते हैं सो ठीक है। सूरी का सूर-सूर्य जब तपन में तप, उपवास आदि करता है, तब सब कुछ मिल जाता है। 224 :: सम्मदि सम्भवो
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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