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________________ नैनागिरी के दो दिन प्रवास के पश्चात् संघ मझगुवां, खडेरी, बटियागढ़, फुटेरा, सीतानगर, बनगांव, कुडई आदि ग्रामों में विचरण करता हुआ पटेरा आया। दमोह के मोहक स्थानों में भ्रमण करता हुआ मुनिसंघ कुंडल की तरह गोलाकार पर्वत श्रृंखला वाले कुंडलपुर को प्राप्त हुआ। 45 एसो थि खेत्त-पयडी-अदिरम्म-खेत्तो सिद्धो त्थि कुंडलपुरो वर-कुंडल व्व। अच्चन्त-रम्म-मणुहारि-चमक्क-ठाणं 'बाबा बड़े उसह-आदि-विसाल-भागं॥45॥ यह क्षेत्र प्रकृति से रम्य, अति सुरम्य सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर-उत्तम कुंडल की तरह है। यहाँ अत्यंत रम्य, मनोहारी, चमत्कारी बाबा हैं। जो 'बड़े बाबा' कहलाते हैं। बड़े बाबा वृषभ, आदिप्रभु हैं। उनकी विशाल प्रतिमा एवं विशाल स्थान कुंडलाकार है। ऐसे भाग को संघ प्राप्त हुआ। 46 सथिल्ल-दिट्ठिइ-विणिम्मिद-सेट्ठ बिंबो आदिप्पहुस्स पहुबह सयंभुवस्स। खंधं च पुण्ण-जड केस सुसिंह पीढो गोमुक्ख जक्ख जखि चक्किस अंकि जुत्तो॥46॥ शास्त्रीय दृष्टि से निर्मित विशाल बिंब आदि प्रभु का है। वे आदिप्रभु आदि ब्रह्म, स्वयंभू आदि एक हजार आठ (1008) नाम धारी हैं। उनका बिंब स्कंध पर्यंत (कंधों तक) की जटाओं युक्त, उत्तम सिंहपीठ सहित है। इनकी पीठ में शासन देवता गोमुख यक्ष और चक्रेश्वरी यक्षी को भी अंकित किया गया है। 47 सो माहि-बिंब-बहुउच्च सुभाग-रम्मे अट्टो णवी हु सदिए विणिमेज्ज अत्थ। लेहिप्पमाण बहुसम्म-सुकारणेणं रम्मो हु णो महिम-सोम्म-सुवत्थु जुत्तो॥47॥ यह 'बड़े बाबा' की प्रतिमा सुरम्य एवं उच्चभाग में स्थित 8वीं 9वीं शताब्दी में निर्मित की गयी। अभिलेखीय प्रमाणों के आधार पर यह रम्य ही नहीं, अपितु महिमाशाली सौम्य प्रतिमा शिल्प अनुसार ही निर्मित है। 208 :: सम्मदि सम्भवो
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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