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________________ आराइ बाला विस्सामो 20 सिक्खाइ खेत्त-बहुला इध देस देसे बालाण थी पवर-सिक्ख सुसिक्ख-खेत्ता। तस्सिंच थीसु जिणधम्म-विसेस-सिक्खा बालाविसाम अरए अवि लोगिगो वि॥20॥ इस भारतवर्ष में शिक्षा के अनेक क्षेत्र हैं, बालकों के, नारियों के भी उत्तम शिक्षा क्षेत्र हैं, परन्तु स्त्रियों में जिनधर्म एवं लौकिक शिक्षा वाला यह प्रसिद्ध बाला विश्राम आरा में है। 21 सिद्धंत-संत भवणे पुर-सत्थ-गंथा दंसेज्ज अत्थ परमागम झाण-रत्तो। फग्गुण्ण-अट्ठ दिवसे उववास जुत्तो। चेत्ते णमी वि उसहस्स महा जयन्ती॥21॥ आरा के जैन सिद्धान्त भवन में प्राचीन शासन ग्रंथ देखते, फिर यहाँ परमागम के ध्यान में रत फाल्गुन की अष्टाह्निका पर उपवास, चैत्र की नवमी पर वृषभ जयन्ती इसके पश्चात् महावीर जयन्ती मनाई। चंदपुरी सिंहपुरी 22 आरा मसाढ-जिण बिंब-सुदंसएज्जा बंहं च बक्सर डुमं इकरोरि-गाजिं। चंदावदिं च पहुचंद सु जम्मठाणं सेयंस-सिंहपुरि-सारयणाध खेत्तं ॥22॥ आरा, मसाढ़ आदि के जिनबिंबों के दर्शन करता, यहाँ से ब्रह्मपुर, बक्सर डुमराव, इकरोरि बाजीपुर के पश्चात् चन्द्रप्रभु के जन्म स्थान चंद्रावती (चंद्रपुरी) को प्राप्त होते हैं। इसके अनन्तर श्रेयांस प्रभु की सिंहपुरी सारनाथ क्षेत्र को प्राप्त होता है संघ। सम्मदि सम्भवो :: 183
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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