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________________ नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं ८४२ सौजन्य से किया जाता है । (५) धार्मिक प्रचार-प्रसार कार्यक्रम स्वाध्यायियों से व्यक्तिगत सम्पर्क कर ज्ञानवर्धन एवं सदाचरण | की प्रेरणा प्रदान करने तथा जन साधारण को सामायिक व स्वाध्याय की प्रवृत्ति से जोड़ने के लिये समय-समय पर प्रचार-प्रसार यात्राओं का आयोजन किया जाता है। यह कार्यक्रम सन् १९८७ से निरन्तर चल रहा है । (६) स्वाध्यायी परीक्षा स्वाध्यायियों द्वारा अर्जित ज्ञान का मूल्यांकन करने हेतु षड्वर्गीय स्वाध्यायी | परीक्षाएँ वर्ष १९९३ से विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित होती थी। अब दो वर्षों से ये परीक्षाएँ अ.भा. श्री जैन रत्न आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड के अन्तर्गत प्रारम्भ की गई हैं। - स्वाध्याय-संघ के द्वारा पत्राचार पाठ योजना, आगम-आराधना प्रोत्साहन योजना एवं अर्धमूल्य पर साहित्य-वितरण जैसे कार्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं । मण्डल से प्रकाशित 'स्वाध्याय शिक्षा' पत्रिका स्वाध्याय | संघ के लक्ष्य को ही पूरा करती है । स्वाध्याय संघ जोधपुर की सम्प्रति ५ शाखाएँ हैं— १. सवाईमाधोपुर - इस शाखा की स्थापना सन् १९७४ में हुई । पोरवाल क्षेत्रीय शाखा सवाई माधोपुर का | देश में महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें लगभग १५० स्वाध्यायी हैं । इस शाखा के संयोजक का कार्य श्री रूपचन्दजी जैन बजरिया एवं श्री चौथमलजी जैन अध्यापक कुशलतापूर्वक वहन किया। वर्तमान में श्री पदमचन्दजी जैन इसके संयोजक हैं । २. उदयपुर - मेवाड़ क्षेत्र के स्वाध्यायियों को सक्रिय एवं संगठित बनाने हेतु सन् १९७५ में मेवाड़ शाखा | उदयपुर का शुभारम्भ हुआ। श्री फूलचन्दजी मेहता प्रारम्भ से ही इस साखा के संयोजक हैं तथा इस शाखा में लगभग ८० स्वाध्यायी हैं। ३. अलवर - पल्लीवाल क्षेत्र के स्वाध्यायी पहले पोरवाल क्षेत्र की शाखा सवाई माधोपुर के अन्तर्गत | क्रियाशील थे, किन्तु कार्याधिक्य को देखते हुए सितम्बर १९८२ में पल्लीवाल क्षेत्रीय शाखा का शुभारम्भ अलवर में | वीरपिता श्री सूरजमल जी जैन के संयोजकत्व में किया गया। इस शाखा के सक्रिय स्वाध्यायी ३२ हैं तथा वर्तमान में संयोजक श्री छगनलाल जी जैन हैं । ४. जलगांव - आचार्यप्रवर के सन् १९७९ के जलगांव चातुर्मास में ८ जुलाई १९७९ को महाराष्ट्र जैन स्वाध्याय संघ, जलगांव की स्थापना हुई। प्रारम्भ से ही इसके संयोजक श्री प्रकाशचन्दजी जैन हैं। इस शाखा के | सक्रिय स्वाध्यायी लगभग १४० हैं । ५. जयपुर - जयपुर क्षेत्र की शाखा का प्रारम्भ सन् १९८३ में हुआ, जिसमें अभी ४५ स्वाध्यायी हैं । इस शाखा के संयोजक के रूप में श्री केवलमल जी लोढा एवं श्री हीराचन्दजी हीरावत की सेवाएँ प्रशंसनीय रहीं । वर्तमान में श्री राजेन्द्र जी पटवा शाखा के संयोजक हैं। I • श्री जैन रत्न माध्यमिक विद्यालय, भोपालगढ़, जिला - जोधपुर (राज.) जोधपुर जिले के प्रमुख धार्मिक क्षेत्र बडलू (वर्तमान नाम भोपालगढ़) की भूमि उर्वरा रही है, जहाँ महाप्रतापी क्रियोद्धारक आचार्यप्रवर श्री रत्नचंदजी म.सा. ने क्रियोद्धार किया। विगत दो सौ वर्षों से भी अधिक समय से यह (पावन भूमि रत्नवंश परम्परा के आचार्य भगवंतों के प्रति पूर्णत: समर्पित रही है एवं रत्नवंश की श्रावक - परम्परा में व
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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