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________________ HERSIGEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER मांडवगढ और पेथडशाह 999999999993393333333333 कवि कालिदासने एकठिकाने लिखा है कि यात्येकतोऽस्तशिखरं पतिरोषधीनामाविष्कृतोऽरुणपुरस्सर एकतोऽर्कः। तेजोद्वयस्य युगपद्व्यसनोदयाभ्यां, लोको नियम्यत इवात्मदशान्तरेषु ॥१॥ वह १२ योजन लंबी और ९ योजन चौडी अयोध्या जिसमें भरत और मगरजैसे षट् खंडाधिपति, हरिश्चन्द्र, और दधीचि जैसे सत्यसंध, राम लक्ष्मण जैसे प्रजापालक नरपति हो गये आज किस हालतमें है ? जहां शांतिनाथ, कुंथुनाथ, और अरनाथ जैसे तीर्थकर सम्राटोंके जन्माभिषेकादि कल्याणकोंके समय देव देवेंद्रोंका आगमन हुआथा, आज वह हस्तिनापुर किस गिनतीमें है ? जिसको आबाद करके चित्रांगद राजाने आदेश किया था कि, यहां करोडपतिके सिवाय और किसीको स्थान न मिलेगा? आखीर करोडपतियोंसे तमाम जगह भरजानेसे लक्षाधिपतियोंके लिये तलहट्टी पर हजारों मकान
SR No.032336
Book TitleMandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1923
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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