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________________ (15) • श्री सहजानंदघन गुरूगाथा • ट्रीचीनापल्ली महा वदी 7 शनिवार वि. सं. 2027 (मार्च - 1970) साक्षरवर्य मुमुक्षुबंधु श्री प्रतापभाई दि. 15-2-1970 दोपहर को हम्पी प्रयाण कर के करीब 12-15 भाई-बहनों के साथ ट्रेइन द्वारा मद्रास पहुँचे । वहाँ छः दिन का कार्यक्रम सम्पन्न करके पुन्नुर तिंडीवनम् आदि का प्रवास करते हुए तिरुचिरापल्ली में प्रवेश हुआ । चार दिन शहर में ठहरने के बाद वहाँ से प्रयाण कर के सेलम रोड पर 19 मील दूर अपर डेम के किनारे कावेरी तथा दो नदियों के संगम पर स्थित द्वीप पर पी.डब्लू.डी. के बंगले पर गत गुरुवार के दिन प्रवेश किया। यह द्वीप विशालकाय वृक्षों से अलंकृत है, यहाँ का वातावरण शीतल है । यह भूमि ऋषिमुनियों के योग्य है । बंगले के तीन कक्ष में से एक कक्ष मिलने के कारण साथ आये हुए लोग एवं ट्रीची के भावुक उसमें रहते हैं तथा इस देहधारी को एक कुटिया मिल गई जिससे उसमें आसन जमाया है । यहाँ प्रायः एकाध मास स्थिरता करने की सम्भावना है । तत्पश्चात् आसपास के शहरों में भावुकों को सन्तोष प्रदान करने हेतु जाना पड़ेगा । तत्पश्चात् नीलगिरि का कार्यक्रम होगा । करीब तीन-चार मास प्रवासों में व्यतीत होंगे ऐसी धारणा है । इस देह पर अर्शव्याधिदेव की कृपा थी उसमें अब पर्याप्त न्यूनता है ऐसा लगता है । कुछ अंशों में पेट की गड़बड़ है जो योगासन के द्वारा शान्त हो जायेगी । (104) माताजी के स्वास्थ्य में गड़बड़ थी उसमें कुछ सुधार हो रहा है । हम्पी में श्री चन्दुभाई की निश्रा में निर्माण कार्य जारी है मन्दिर के प्लान आदि तैयार करने की सूचना दी । वे प्रति मास एक बार मुलाकात लेते रहते हैं । आप की भावना विद्यापीठ छोड़कर बेंगलोर में बड़े भाई की सहायता करते हुए साहित्य सेवा में विकास साधने की है वह हितरूप है । उस प्रकार की सभी भावनाएँ सफल हों ऐसे इस देहधारी एवं माताजी के हार्दिक आशीर्वाद हैं । आपकी शक्तियाँ भक्तिरस में सराबोर होकर साहित्य सेवा में तन्मय हों । परिवार में सब को हार्दिक आशीर्वाद । धर्मस्नेह में अभिवृद्धि हो । ॐ शान्ति सहजानन्दघन सहजात्मस्मरण हार्दिक आशीर्वाद i
SR No.032332
Book TitleSahajanandghan Guru Gatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2015
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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