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________________ R eacA9000909096 समझना और परखना हमारी शक्ति के परे होने से उसकी व्याख्या व्युत्पत्ति-शास्त्र की परिभाषा में की गई है कि जिससे मंत्र को हम एक महान रहस्यपूर्ण शक्ति बना सकें। हमारे समक्ष ध्वनि-शक्ति की चमत्कारिक असरों से सम्बन्धित ऐसे ऐतिहासिक दृष्टांत भी हैं कि जिनमें तानसेन, बैजु बावरा जैसे सुप्रतिष्ठित संगीतकारों ने मुगल दरबार समक्ष ध्वनि-शक्ति की चमत्कारिक असरों की वर्षा बरसाकर, दीपक जलाकर और पालनों को झुलाकर दर्शाया हो। यह सिद्ध हो चुका है कि महामंत्र का उच्चारण धातु और पत्थरों को रूपांतरित कर उनको प्रवाही रूप में घुला देता है। इसलिये महामंत्र का उच्चारण दुष्ट व्यक्ति को सद्गुणी व्यक्ति में, क्रूर व्यक्ति को दयावान में, अप्रामाणिक को प्रामाणिक में और कृतघ्नी को कृतज्ञ में परिवर्तित कर दे सकता है। यह केवल कल्पना नहीं है, परंतु अनेक अभीप्सुजनों, साधकों, साधुओं और संतों का अनुभव एवं प्रयोग किया हुआ ठोस तथ्य है और इसलिये आत्मा के शुद्धिकरण और संपूर्णकरण हेतु नवकार मंत्र का प्रयोग किया जाता है। इस महामंत्र में समस्त विश्व के अतीत, वर्तमान और भविष्य के सारे ही मंगलमय, परम पवित्र सद्गुणी और सदाचारी आत्माओं का समावेश किया गया है, जिससे यह स्वाभाविक रूप से ही सिद्ध हुआ है कि इस मंत्र का उच्चार करने से कोई अनोखी, अनन्य शक्ति सृजित होती है, सारे ही सद्गुणों के साथ उसका गुणाकार होता है और सभी दुर्गुणों को वह चकनाचूर कर देती है। इन पवित्रतम और परम पूजनीय आत्माओं को इस महामंत्र में किस प्रकार समाविष्ट किया गया है यह नीचे समझाया गया है। नमो अरिहंताणं अरिहंत: __ अर्हतों को नमस्कार कि जो व्युत्पत्ति शास्त्र की दृष्टि से सुयोग्य, सर्वज्ञ-सर्वदर्शी एवं समग्र विश्व के सच्चे मार्गदर्शक हैं और जो आत्मा एवं अनात्मा (चेतन-जड़) तत्त्वों के लक्षणों पर प्रकाश डालते हैं - विश्व की रचना में घटक तत्त्व के लक्षणों पर। उनके निसर्ग-प्रदत्त दिव्य आभूषणों और शास्त्र-सूचित अपवाद रूप चमत्कारिक घटनाप्रसंग (जो कि संक्षेप में नीचे दिये जा रहे हैं, उनके कारण) से वे प्रकृति-निसर्ग-कुदरत की सरकार के ऊंची से ऊंची पदवी को धारण करने वाले अत्यंत ही प्रामाणिक प्रतिनिधि के रूप में सिद्ध हुए हैं। निसर्ग के नियमों को संवादी रूप से सुदृढ़ कर, उन नियमों के साथ कितने ही एकधारा (सतत) जन्मों तक सुसंगत O RGE 10909090009
SR No.032318
Book TitleNavkar Mahamantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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