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________________ GOOGOSSO90989096 वातावरण सृजित कर सकता है। कुदरत की योजना है - ऐसे उच्च परिशुद्ध एवं पवित्र आत्माओं के द्वारा सृजित शक्ति में से शुद्धिकरण एवं पवित्रीकरण का सर्वव्याप्त वातावरण समुत्पन्न करने की। इसलिये उनमें से, उन करूणावंत आत्माओं के निकटवर्ती स्थान में से, मंत्रजाप की ध्वनि तरंगें हमारी आत्मा के शुद्धिकरण हेतु अणुओं और परमाणुओं को आंदोलित करती हैं और कोई मूलभूत ऊर्जा उत्पन्न होती है, इसी कारण से हम साधुओं और संतों को वन्दना-अंजलि अर्पित करते हैं और यात्राधामों के पवित्र स्थानों की यात्रा करते हैं कि जहाँ से, जिन स्थानों में से हम हमारी आत्माओं को शुद्ध करनेवाले पवित्रता और शांति से आंदोलित परमाणु प्राप्त कर सकें। शास्त्रों में कहा गया है कि जंगलों और गुफाओं में रहनेवाले खूखार, हिंसक और जहरीले प्राणी भी पवित्र साधुओं, संतों और स्थानों के इस आंदोलित वर्तुल के संपर्क में आने पर शांत और दयार्द्र हृदयवाले बन जाते हैं। उनकी हिंसक प्रकृति कुदरत द्वारा शांत, शमित की जाती है। जब तक कि वे (साधुसंत) वहाँ होते है, वे वृत्तिओं का रूपांतरण कर डालते हैं। ध्यान घरने वाले साधुओं के निकटवर्ती चमत्कारिक असरों के कारण ये हिंसक प्राणी उनके प्राकृतिक शत्रुओं के साथ भी बंधुभावपूर्वक रहने लगते हैं। भूत, भविष्य, वर्तमान के पार्थिव भूलोक में अथवा अपार्थिव ऐसे सिद्धलोक में बसनेवाले इस लोक के सर्व पवित्र और दिव्य आत्माओं के साथ यह महामंत्र संबंधित होने के कारण से गहरे पूज्यभाव पूर्वक किया गया उसका उच्चारण हमारे इस दुःखी दुन्यवी जीवन के बंधन में से, हमारे अपने स्वयं-प्रकाश, उत्थान और ऊर्वीकरण और निर्वाण के लिये निश्चित रूप से कोई संगीन, यथार्थशक्ति लायेगा। इस महामंत्र से व्युत्पत्ति विषयक (शब्द साधन विद्या विषयक) अर्थ समझने पर यह स्पष्ट प्रतीत होगा कि यह महामंत्र किसी जाति, वर्ण, समाज, प्रजा, देश या खंड के चौकठे में बंधा हुआ नहीं है, परंतु वह विश्वकल्याण के समान हेतु अर्थसर्जित वैश्विक महामंत्र है। __ हम कई बार ध्वनि की विराट अद्भुत शक्तियों के विषय में पढ़ते हैं कि अत्यंत मूल्यवान वैज्ञानिक साधनों और यंत्रों को 'सॉनिक' और 'सुपर-सॉनिक' जैसे नाद-वाहकध्वनि वाहक-तरंगों से साफ किया जा सकता है। यह जाना गया है कि इन दिनों मूल्यवान वस्त्र भी इस प्रक्रिया के द्वारा धोये जाते हैं। इसी प्रकार महामंत्र में से उत्पन्न होनेवाले उच्चारण तरंगों के द्वारा सारे ही गंदे पापों को धो डालकर हमारी आत्माओं को परिशुद्ध कर स्फटिकवत् बनाया जाता है कि जिससे हम शुद्धिकरण और पूर्णता की पद-भूमि प्राप्त कर सकें। इसी कारण से पौर्वात्य और पाश्चात्य की प्राय: सारी ही परंपराओं और प्राचीन अर्वाचीन तत्त्वज्ञान-शाखाओं में मंत्र, उच्चारण और जप-योग को अत्यंत महत्व दिया गया है। परंतु इस गूद रहस्य को
SR No.032318
Book TitleNavkar Mahamantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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