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________________ के कवियों के ही बस की, अधिकार क्षेत्र की बात है।) अत: ऐसे उपयुक्त अधिकारी, जौहरी क्रान्तदृष्टा सद्गुरुदेव श्री सहजानन्दघनजी लिखित श्रीमद्जी की यह महिमा कथा, उनकी महाविदेही दशा और वर्तमान में महाविदेह-क्षेत्र में ही संस्थिति, श्रीमद्जी को यथोचित स्वरूप में समझने में बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई है। श्रीमद्जी की यह अनुपम अद्वितीय दशा, इस वर्तमानकाल में उपास्यपद पर उनकी उपोदयता स्पष्ट करती है। उनकी इस महत्वपूर्ण कृति का यह हिन्दी अनुवाद अनेक बिन गुजराती संशोधकों, साधकों, जिज्ञासुजनों और भक्तों की दीर्घकालीन माँग के प्रतिभाव में परमगुरु प्रेरणा, कृपा और आज्ञा से प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा और श्रद्धा है, यह प्रभु-कृति परमकृपालुदेव को यथावत् स्वरूप में प्रकाशित करने में निमित्त रूप बनेगी और जिनवाणी को विश्वव्यापी बनाने में महान योगदान देगी। ऐसी महिमामयी इस कृति का लेखन अनुरोध विनय गुरुदेव के प्रति व्यक्त करनेवाले थे अहमदाबाद के मुमुक्षुवर्य, साक्षर एवं परमकृपालुदेव के संनिष्ठ भक्त श्री लालभाई सोमचंद शाह। श्री लालभाई के पिताजी स्वयं श्रीमद्जी की प्रत्यक्ष सेवा कर पाने में सद्भागी रहे थे। फिर अहमदाबाद के ही अन्य श्रीमद् भक्त, एम. वाडीलाल कम्पनी के श्री जयन्तीलाल सकराभाई ने इस उपकारक कृति का प्रकाशन करने का लाभ लिया था। श्री सहजानंदघनजी के प्रति इस श्रीमद् भक्त का भक्तिभाव दृष्टव्य है, जो कि उनके स्वयं के
SR No.032315
Book TitleUpasya Pade Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2013
Total Pages64
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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