SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दों में 'मूल प्रकाशक का निवेदन' शीर्षक अंतर्गत साथ में संबद्ध __ जाना जाता है कि इस कृति का लेखन, गुरुदेव ने अपने देहविलय के 3-4 वर्ष पूर्व श्रीमद् राजचन्द्र जन्म शताब्दी के अवसर पर किया था और प्रकाशन किया था (प्रथमावृत्ति का) संवत् 2024 (सन् 1967) में अहमदाबाद के श्रीमद् राजचन्द्र ज्ञान प्रचारक ट्रस्ट ने 'श्रीमद् राजचन्द्र जन्म शताब्दी सौरभ' के रूप में। संभवत: यह पुस्तक गुरुदेव की अन्तिम पुस्तक-प्रति लगती है और इसलिए इस कृति का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। .. पुस्तक की द्वितीय आवृत्ति वि.सं. 2049 में श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी की ओर से प्रकाशित हुई है। इसके हिन्दी अनुवाद के प्रकाशन का सौभाग्य श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी के सौजन्य से हमारी संस्था को प्राप्त हो रहा है। विशेषकर स्वयं गुरुदेव सहजानंदघनजी की आगामी जन्मशती के अवसर पर। अब की जब इस जन्मशती के लिए एक वर्ष से भी कम समय ही शेष रहा है, तब गुरुदेव के और गुरुदेव संबंधित सारे बाकी अप्रकाशित साहित्य का उनके अक्षर देह और स्वरदेह (प्रवचन टेइपों) को शीघ्र ही प्रकाशित करना आवश्यक है। इस आयोजन की तैयारी में सहभागी बनने के लिए सभी गुरुबंधुओं व गुरु भगिनियों को विनम्र अनुरोध है। इसी प्रकार गुरुदेव की जन्म भूमि कच्छ-डुमरा में उनका स्मारक बनवाने की प्रक्रिया में अति शीघ्रता लाने की आवश्यकता है कि जिसकी
SR No.032315
Book TitleUpasya Pade Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherJina Bharati
Publication Year2013
Total Pages64
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy