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________________ पंचभाषी पुष्पमाला ३२ ६५. समय अमूल्य है ऐसा सोचकर आज के दिन के २,१६,००० विपल का उपयोग करो । ६६. वास्तविक सुख केवल विराग में है अतः जंजालमोहिनी के द्वारा आज अभ्यंतर मोहिनी में वृद्धि मत करना | ६७. अवकाश का समय हो तो पूर्वकथित स्वतंत्रता के अनुसार कार्य करना । ६८. किसी प्रकार का निष्पाप खेल अथवा अन्य कोई निष्पाप साधन आज के मनोरंजन के लिए खोजना | ("निर्दोष सुख, निर्दोष आनंद पाए चाहे कहीं से भी, वह दिव्य शक्तिमान (आत्मा) जिससे छूटे बंधन से सही । " - श्रीमद्जी) ७०. ६९. अगर सुयोजक कृत्य करने में प्रवृत्त होना हो तो आज विलंब करना उचित नहीं है, क्योंकि आज के समान मंगलदायक दूसरा कोई दिन नहीं है । यदि तुम अधिकारी हो तो भी प्रजाहित को मत भूलना, क्योंकि जिस शासक का ( राजा का ) नमक तुम खाते हो वह भी प्रजा का प्रिय सेवक है । जिनभारती
SR No.032308
Book TitlePanchbhashi Pushpmala Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year2007
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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