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________________ पंचभाषी पुष्पमाला ३१ ५८. आहारक्रिया में अब तुमने प्रवेश किया । मिताहारी अकबर सर्वोत्तम बादशाह माना गया। ५९. यदि आज तुम्हें दिन में सोने की इच्छा हो तो उस समय ईश्वर भक्ति परायण बनना अथवा सत्शास्त्र का लाभ ले लेना । ६०. मैं समझता हूँ कि ऐसा होना कठिन है, फिर भी अभ्यास सब का उपाय है । ६१. परापूर्व का चला आ रहा वैर अगर आज निर्मूल किया जा सके तो उत्तम है, नहीं तो उस विषय में सावधान रहना । ६२. उसी प्रकार नया वैर बढ़ाना मत, क्योंकि वैर करके कितने काल तक सुख भुगतना हे ? ऐसा विचार तत्त्वज्ञानी करते हैं । ६३. महारंभी हिंसायुक्त व्यापार में आज पड़ना पड़ रहा हो तो रुक जाओ ! (ऐसी प्रवृत्ति का त्याग करो ।) ६४. विपुल लक्ष्मी की प्राप्ति होती हो तो भी अगर अन्याय के कारण किसी के जीवन की हानि हो रही हो, तो रुक जाओ । जिनभारती
SR No.032308
Book TitlePanchbhashi Pushpmala Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year2007
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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