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________________ पंचभाषी पुष्पमाला ३३ ७१. व्यावहारिक प्रयोजन में भी उपयोगपूर्वक विवेकवान रहने की सत्प्रतिज्ञा लेकर आज के दिवस में प्रवर्तित होना । ७२. सायंकाल होने के पश्चात् विशेष शांति धारण करना । ७३. आज के दिन में इन विषयों में यदि बाधा न आए तो ही वास्तविक विचक्षणता मानी जा सकती है :- १. आरोग्य, २ महत्ता, ३. पवित्रता, ४ . कर्त्तव्य | ७४. यदि आज तुम्हारे हाथों से कोई महान कार्य हो रहा हो तो तुम अपने सर्व सुखों का भी बलिदान दे देना । ७५. कर्ज़ नीच रज (क+रज) है, कर्ज़ यम के हाथों निष्पन्न हुई वस्तु है; (कर+ज); कर यह राक्षसी राजा का ज़ुल्मी कर उगाहनेवाला है। यदि यह है तो आज ही उससे मुक्त हो जाओ और नया लेना बंद करो । ७६. दिवस से संबंधित कृत्यों का लेखा-जोखा अब देख लो, उसके विषय में चिंतन ( आत्मनिरीक्षण, प्रतिक्रमण) कर लो। जिनभारती
SR No.032308
Book TitlePanchbhashi Pushpmala Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year2007
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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