________________
१६
वानी आवश्यक्ता नथी. जे पेट्रोल छे सिलक तेनाथी गाडी चालशे." चाले के नहीं ? कोइ वखत लांबी सफरमा पेट्रोलनी कल्पना करीए के वच्चे आगळ लइ लइशु, पण अवा पण रस्ताओ मळी जाय छे के ज्यां सो माइलमां पेट्रोल नहीं ! त्यां कने शु थाय ? ज्यां सुधी पेट्रोलनो भाग होय त्यां सुधी गाडी चाले अने पेट्रोल समाप्त थाय अटले गाडी ऊभी रहे. तो आ पेट्रोल ज्यां सुधी छे त्यां सुधी गाडी चाले छे. आजे नर्बु नांखवू नथी, पुराणुं छे ते वापरीने खतम करवू छे. अटले शरीरनो उपवास होय तेने पोतानों उपवास मानी बेसे छे के नहीं ? में उपवास को छे. शरीरने खावा नथी आप्यु-आं भान राखीने भले वहेवारथी बोले के आजे उपवास छे. पण पोतानो उपवास तो....! उप + वास. 'उप' एटले समीप अने 'वास' एटले वसवू. चेतनानु चेतन - सत्ता समीप जइने वसवु तेनु नाम उपवास. तप शरीर करतुं होय अने ' ड्राइवर ', खातुं शरीर होय अने माने 'ड्राइवर' के “ हुँ खाउं छु, हुं पीउं छु." आ बधी भूल छे हों ! आ भूलवणी काढया वगर कोइ धर्म कोइथी थतो नथी. गमे ते संप्रदायनो · धार्मिक ' कहेवातो होय, पण “ धर्म अटले मननी धरपकड." आत्माना भान विना थइ शकती ज नथी ! माटे दरेक प्रयोगो- शरीरना, वाणीना अने द्रव्य मनना : त्रियोग प्रवृत्तिओ चालु रहेवा छतां, खावा-न खावानी, उठवा-बेसवानी बधी क्रियाओ शरीरनी शरीरमां थती होवा छतां, अ भान राखq घटे छे के “ हुँ ओ बघाने जोनार-जाणनार ज्ञाता, दृष्टा, साक्षी ! केम ? " हुं ते छु, आ नहीं,