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मोटरमा बिराजमान ड्राईवर तत्त्व - पोतानो आत्मा, ते आत्मानी कायमी स्मृति – स्मरण, मंत्रस्मरण एटले विस्मरण न थाय ते. मंत्र एटले गुप्तमां गुप्त रहस्य. " मंत्र गुप्त रहस्य धातुथी मंत्र शब्द बने छे. गुप्तमां गुप्त रहस्यरूप जो कोइ होय आ विश्वमां तो आ आत्मा छे, के बीजो कोइ छे ? आम जुओ, अंतदृष्टि खोलीने जुओ तो सामे ज छे. अने नहीं तो गमे त्यां शोधो पण कयां य ए नहीं मळे. गुप्त चमत्कार आ छे. रहस्यरूप स्वतत्त्व, मांहें गुप्त छे, स्वरुप गुप्त छे, उपर पडदा छे एटले खबर पडती नथी. तो मंत्र शब्दनो अर्थ छे गुप्त रहस्य. आ विश्वमां गुप्तमां गुप्त रहस्यरूप कोई पदार्थ होय तो कोण छे ? आ आत्मा. एन होय तो बाकी बधुं जड. कोइनी किंमत नहीं. तो आ जेटला मंत्रो - मंत्राक्षरो छे एना अर्थरूपे शुं तत्त्व छे ? आ ड्राइवर तत्त्व, आत्मा, परमात्मा. आत्मा कहो, परमात्मा कहो. एनी स्मृति कायम बनावी राखे एनुं नाम मंत्र स्मरण. ए स्मरण त्यारे कहेवाय के विस्मरण न थाय, भूलाय नहीं. कोइ पण काम करतां छतां गमे तेवी परिस्थितिमां रहेवा छतां, आ ड्राइवर - तत्त्व भूलाय नहीं, विसराय नहीं आ महेनत करवानी छे : पुरुषार्थ. ए स्वभावे रहीने ज्यारे आ महेनत करशुं त्यारे ते काळ ते स्वकाळ छे. आ भवस्थिति परिपाकनी क्रिया आखर तो एणे ज करवानी छे. " काळ पाकशे त्यारे जोइशुं, त्यारे मोक्षनी क्रिया करशुं, हमणो शुं छे ! घडपणमां गोविंद गुण गाशुं बूढा थइ जइशुं, कुटुंबने के कोइने काम नहीं आवीए त्यारे भजन करशुं ! "
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