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________________ ૨૫૧ (घ)। चिम 11 नय 1.157 (यंश) "खा भव सृष्टि फेटली विशाल छे. भत-भतनां पार्थोमां, भतभतनां विन्सेन्द्रिय भुवो उत्पन्न थाय छे. लीलां शाइलानुमां, लीला रंगनी ध्यणो छुपायेसी होय छे. वनस्पतिनो रंग जने ध्यणनो रंग समाना होपाधी, तेने खोणजवी भुडेल जने छे. अजभुपूर्व भेवामां खाये, तो ते नकरें पडे छे. डायां शाङ, खाजांने खाजा, भेयां वगर जा क्वाथी, यणो भवते-भवती, खायएगां भ्डलामां यवार्ध भय छे." तेथी, डायां शाड खाखांने खाजां ज्यारेय पए। वायरवां नहीं. No. Date जहारनो खो - मेंही जिलडुस वापरवो नहीं. होरसनां खनाष्ठ - लोटमां जिसकुल भ्यगा सथवाली नथी. माटे, होटलमा कमन नहीं. होटल-रेस्टोरंटनं नभए। तो मात्र खायात्रां शरीर माटे हानिकारक नथी, परंतु, खायएगां खात्मा भाटे या खत्यंत हानिझरड छे, खहितङर छे. J (4) (पट) जेहरद्वारीपूर्वक, शाहु समारवामां खाये, तो तेमां रहेल यण, भुवते - भुवती ज्यार्ध भय छे. शाड सुधार्या वगर, खाखां शाइने रांधवामां खाये, तो सुंदर ईयण तो भुक्ते भवती यूला उपर जार्ध भय छे. तेथी, वनस्पति समारतां अथवा जाइतां रांधितां पूर्वे, तेनी जास-पास डाल लेवी.. पापडी - पटाएां -लींडा - शींगो - सिमला भरयां- अरेला कोरेगां यजनी संलापना घणी वधारे छे. तेथी, जा वनस्पतिनो उपयोग डरती वेणाखे, ध्यणोनी विराधनाथी जयवानो खास प्रयत्न डरखो. राज्य होय तो खा शाडलाभ जापानो खाग्रह छोडी हो. न छूटडे पायरो, तो पए, खति डाल पूर्व ४ पायरो. (5) डोजीक - इलावरमां, जेर्धन्द्रिय भुवो अत्यंत सूक्ष्म होय छे जने पोलाएा- जांयामां लरायेतां होय छे. तेथी, डोजी४ - इलावरनो उपयोग, अयम माटे, दुखो नहीं प्यारेड, नानां सांप पए। तेमां लरायेतां होय छे. जीभं तमाम शाउने, पाणीमां पलाण्यां पछी, हु] व्हाय सुधारी शाय, परंतु, लाभपालांने तो, भ्यगापूर्वक यूंच्या बाह, यायशी मां याण्या पछी ४ पायरपां. डारगडे, तेमां घडी चार ध्यणो-भवांतो नीडजे छे. KOKUYO W-NB280U
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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