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________________ ०४७ (२५० Date पार पीएसीधा माइरी यो हिपसोभां, तेमान्नुप्पोत्पत्ति संलवित छे. लेखनां वातावरणामां, ब्लुपोत्पत्तिनी संलापना पधारे छे. तेथी, घोडा विसो पूर्वे सा रेल मनाल पए, पापरतां पूर्वे, शिरी पीएायां री छे. पीएयां बगरधान्यने नेहमी नाप्नयामा माये, तो हिस्टोल रतां सनेह निर्दोष यो नानी साधे हजाई-पीसाईलय छे. जनारपीरावानुं डार्य, नोडर-नोडशगीनां लरोसे छोडवाथी, घी जेरडारी थपानी सैलापना छे. हाय नोडस पासे, प्रीपा, डार्य शययुं पड़े तो नोडशेने समलपी, जहीसनीलासयन्प्रोत्साहना खाधीने, शङ्य मेटली पधुभां पधु लुपया पगापपानी प्रयत्न, तेनां द्वारा रापपो. पण मनानां लोटमा पए, ममुह समय पछी, अपांतो पडपानी घिएगी संलापना छे. जहारनां तैयारणलोटमा तो, पुष्टण अपांतो होपानी पूरी संलापना छे. तेथी, शट्य होयतो, जनरनो तैयार मोट न जरीयो. परंतु, घरनी घंटीमांकनयापूर्व, सोट गपो मने हण्या माह पए, थोडा-थोडां हिवसे तपासडरपी डे, तेमांन्नुपांत:छेडे नहीं. तो, निर्दोष धनेशंयोरे तेन्द्रिय जुयोनी जिनहरी विराधनानां हंऽधी खाएगां समग्र परिपारने जयापी शहाशे. शयरोगी पपा धान्यनी यांतोनी रक्षा डाले, नीये मुश्मनी जाणशुन्दरी छ। काम * मनालडाणपूर्वसाइडरीने पछी लरो. लयाँ जाह, पापरतां पूर्षे, इशयाधुन्डाणपूर्वड साइ दुरी मेथुना * साइडरेलां घठ-योप्पा कोरेने हीवेलथी मोर्डने लगे. * धान्यनी साथे पारांनी घेपलीसो भूडी राजपाथी, अपांत थती नधी. सनाने हलतां पूर्ये, इरी रोडपार पीएी लो. * योमासानी मां, मा सिपायनां सानां होगनो त्याग रो. * मनार पीएावातुं डाम नोडर-नोडराएीने लरोसे न छोडो. * तैयार लोटनो उपयोग जिसपन शे. *पोटमां पा डागमर्यादानं उबंधन न घर्छ भय तेनी पूर्ण डायरामो या मनाल लरयां भाटे, युस्त मंध थाय, तेषां साधन रानो.
SR No.032283
Book TitleJeevvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ R Shah
PublisherJ R Shah
Publication Year
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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