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________________ ग्रन्थ की कथावस्तु एवं उसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कि इस संसार में भ्रमण करने का कारण क्रोध, मान, माया, लोभ और मोह है। इन पाँचों से सम्बन्धित उन व्यक्तियों का पूर्व जीवन भी मुनिराज ने राजा को सुनाया, जो वहीं बैठे हुए थे। क्रोध : चंडसोम की कथा कांची के समीप रगड़ा नाम का सन्निवेश था। वहाँ सुशर्मा देव नामक एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसका बड़ा पुत्र भद्रशर्मा क्रोधी होने के कारण चंडसोम कहा जाने लगा था। माता-पिता चंडसोम का विवाह नन्दिनी नामक कन्या से करके उन्हें गहस्थी सौंपकर तीर्थ करने चले गये। नन्दिनी पतिव्रता एवं गुणसम्पन्न थी। किन्तु चंडसोम उस पर संदेह करता रहता था। एक दिन नाटक देखकर लौटते समय संदेह के कारण चंडसोम ने अपनी पत्नी एवं उसके प्रेमी के धोखे में अपने छोटे भाई एवं बहिन की हत्या कर दी। इससे चंडसोम को बहुत आत्मग्लानि हुई। वह उनके साथ मर जाना चाहता था, किन्तु ब्राह्मणों ने उसे अन्य कई प्रायश्चित्त करने को कहा। अतः वह गंगास्नान द्वारा अपने पाप धोने के लिए आते समय यहाँ धर्मनन्दन मुनि के पास चला आया। मुनि ने उसे दीक्षा देकर अपने कर्मों को क्षय करने का मार्ग बतलाया। मान : मानभट की कथा ___ माल वा में उज्जयिनी के उत्तर-पूर्व में कूपवन्द्र नाम का एक गाँव था। वहाँ क्षेत्रभट नाम का एक सामन्त ठाकुर रहता था, जिसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गयी थी। उसके पुत्र का नाम वीरभट था। वृद्धावस्था में क्षेत्रभट गाँव में रहने लगा था और वीरभट राजा की सेवा में था। वीरभट के पुत्र शक्तिभट ने अपने परिवार की परम्परा को कायम रखते हुए राजा की सेवा की। शक्तिभट को अहंकार बहुत था अतः उसे लोग मानभट कहने लगे थे। एक दिन राजा अवन्ति के दरबार में मानभट के आसन पर कोई पुलिन्द राजकुमार आकर बैठ गया । मानमट ने इसे अपना अपमान समझ कर उसके द्वारा क्षमा मांगने पर भी उसे रिका से मार डाला और राज-दरबार से निकल कर, अपने पिता के पास गाँव में भाग गया। पिता ने उसे गाँव छोड़ कर अन्यत्र चलने को कहा। तब दोनों नर्मदा के किनारे एक किला बना कर किसी गाँव में रहने लगे। एक दिन वसन्तोत्सव में मानभट अपनी पत्नी के साथ गया। वहां उसने अपने मित्रों के बीच किसी अन्य युवती के रूप की प्रशंसा में गीतिका गायी। उसकी पत्नी इसे अपना अपमान समझ कर अकेली घर लौट आयी। वह गले में फन्दा डाल कर आत्महत्या करने वाली थी, तभी मानभट ने आकर उसे बचा लिया। मानभट ने पत्नी को मनाने के लिए उसके चरण भी छए, किन्तु पत्नी का गुस्सा कम नहीं हुआ। अतः मानभट अपमानित होकर घर से बाहर निकल गया। उसकी पत्नी एवं माता-पिता ने उसका अनुसरण किया। मानभट ने पत्नी
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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