SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजा मधु को वैराग्य सोनगढ़ जिनमन्दिर के एक चित्र में मथुरा नगरी में सात मुनि भगवन्तों (सप्तर्षि) के आगमन का अत्यन्त भाव वाही दृश्य है......एक साथ सात वीतरागी मुनिवरों को देखकर भक्त हृदय प्रफुल्लित होते हैं और सहज ही उस चित्र की कथा जानने की उत्कंठा जागृत होती है..... पद्मपुराण में से यहां वह कथा दी गई है। आज भी मथुरा नगरी के जिन मन्दिर में सप्तर्षि मुनिवरों की प्रतिमाजी विराजमान हैं......! राम-लक्ष्मण आदि लंका को जीतकर अयोध्या लौटे और उनका राज्याभिषेक हुआ। तत्पश्चात् अत्यन्त प्रीति पूर्वक उन्होंने अपने लघुभ्राता शत्रुघ्न से कहा कि- बन्धु! तुम्हें जो देश पसन्द हो वह ले लो। यदि अयोध्या चाहते हो तो आधी अयोध्या ले लो। अथवा राजगृही, पोदनपुर आदि अनेक राजधानियों में से जो तुम्हें पसन्द हो, वहाँ राज्य करो। तब शत्रुघ्न ने कहा कि- “मुझे मथुरा का राज्य दीजिये।'' रामचन्द्रजी ने कहा कि- हे भ्राता! मथुरा नगरी में तो राजा मधु का राज्य है, वह रावण का दामाद और अनेक युद्धों में विजय प्राप्त करने वाला है, चमरेन्द्र ने उसे त्रिशूलरत्न दिया है और उसका पुत्र लवण सागर भी महा शूरवीर है, उन दोनों पिता-पुत्र को जीतना कठिन है, इसलिये मथुरा को छोड़कर दूसरा जो भी राज्य तुम्हें अच्छा लगे वह ले लो। शत्रुघ्न ने कहा- मुझे तो मथुरा ही दीजिये, मैं राजा मधु को युद्ध में मधु के छत्ते की भाँति गिरा दूंगा। ऐसा कहकर शत्रुघ्न मथुरा जाने को तैयार हो गये।
SR No.032259
Book TitleJain Dharm Ki Kahaniya Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year2007
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy