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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-५/१४
विद्याधर राजा और कोई नहीं थे, अंजना के ही मामा-मामी थे अर्थात् हनुमत् द्वीप के राजा प्रतिसूर्य ही थे । अनेक दुःख-सुख के वार्तालाप के पश्चात् राजा प्रतिसूर्य ने अपने राज्य प्रस्थान करने की इच्छा प्रगट की, तब अंजना ने राजन् के कथन को स्वीकार कर सर्वप्रथम गुफा में विराजमान भगवान जिनेन्द्र की भावपूर्वक वंदना की, तत्पश्चात् पुत्र को गोद में लेकर प्रतिसूर्य के परिवार के साथ गुफा द्वार से बाहर निकल आई और विमान के समीप पहुँचकर खड़ी हो गई, उसे जाते देखकर मानो सम्पूर्ण वन ही उदास हो गया हो, वन के हिरणादि पशु भी भीगी पलकों से विदा करते हुये टुकुर-टुकुर उसे निहारते थे.... गुफा, वन एवं पशुओं पर एक बार स्नेहभरी दृष्टि डालकर अंजना अपनी सखी सहित विमान में बैठ गई । विमान आकाश मार्ग से प्रस्थान करने लगा ।
विमान आकाशमार्ग से जा रहा है। अंजना सुन्दरी की गोद में