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________________ [ १२४ ] नंदन मामलीयानाभाणेज सकुमाल, हससे हाथे उच्छाली कहिने नाहना भाणेजा, अांखो जीने वली टपकु करशे गाल ॥हा॥८॥ नंदन मामा मामी लाशे टोपी आंगला, रत्ने जडीयां झालर मोती कसबी कोर । नीलां पीलांने वली रातां सर्वे जातिनां, पहेरावशे मामी महारा नंदकिशोर ॥ हा० ॥ ९ ॥ नंदन मामा मामी सुखलडी बहु लावशे, नंदन गजुवे भरशे लाडु मोतीचूर । नंदन मुखडां जोइने लेशे मामी भामणां, नंदन मामी कहेशे जीवो सुख भरपूर ॥ हा० ॥ १० ॥ नंदन नवला चेडामामानी साते सती, मारी भत्रीजी ने बेन तमारी नंद । ते पण गुजे भरवा लाखणसाइ लावशे, तुमने जोइ जोइ होशे अधिको परमानंद ॥ हा० ॥ ११ ॥ रमवा काजे लावशे लाख टकानो घुघरो, वलो सूडा मेना पोपटने गजराज । सारस हंस कोयल तीतरने वली मोरजी, मामी लावशे रमवा नंद तमारे काज ॥ हा० ॥१२॥ छप्पन कुमरी अमरी जलकलशे नवरावीया, नन्दन तमने अमने केली घरनी मांहे । फुलनी वृष्टि कीधी योजन एकने मंडले, बहु चिरंजीवो अाशीष दीधी तुमने त्यांहे ॥ हा० ॥ १३ ॥ तमने मेरुगिरीपर सुरपतिए नवरावीया, नीरखी हरखी सुकृत लाभ कमाय । मुखडा उपर वारु कोटी कोटी चन्द्रमा, वली तन पर वारु ग्रहगणनो समुदाय ॥ हा० ॥ १४ ॥ नन्दन नवला भणवा
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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