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________________ [ १२५ ] निशाले पण मुकशु, गज पर अंबाडी बेसाडी मोहटे साज । पसली भरशु श्रीफल फोफल नागरवेलशु, सुखलडी लेशु निशालीयाने काज ॥ हा० || १५ || नन्दन नवला महोटा थाशोने परणाशु, बहुवर सरखी जोडी लावशुं राजकुमार । सरखा वाइ वेवाणोने पधरावशु, वरबहुं पोंखी लेशु जोई जोने देदार || हा० ||१६|| पीयर सासरा मारा बेहु पख नंदन उजला, मारी कुखे आव्या तात- पनोता नन्द | माहरे आंगणे वृठा अमृत दुधे मेहुला, मारे प्रांगण फलिया सुरतरु सुखना कन्द || हा० ॥ १७ ॥ इणि परे गायुं माता त्रिशला सुतनु पारण, जे कोइ गाशे लेशे पुत्र तणा साम्राज्य । बीलीमोरा नगरे वर्णव्यु वोरनु होलरु, जय जय मंगल होजो दीपविजय कविराज ॥ हा० ॥ १८ ॥ १ श्री पार्श्वनाथ की सज्झाय काशी देश वणारसी सुखकारे, अश्वसेन राजन् प्रभु उपकारी रे । पटराणी वामासती सुबकारीरे सुरुपे रंभा समान ॥ प्र०॥ ॥ १ ॥ चौद सुपन सुचित भला सु०, जन्म्या पास कुमार प्र० । पौष वदी दशमी दिने सु०, सुर करे श्रच्छव सार ॥ प्र० ॥ २ ॥ देहमान नव हाथनु सु०, नील वरण मनोहर ין
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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