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________________ [१२३] रेशम दोरी घुघरी वागे छुम छुम रीत ॥ हालो हालो हालो हालो मारा नंदने ॥ १॥ जिनजी पास प्रभुथी वरस अढीसें अन्तरे, होशे चोवीसमो तीर्थकर जिन परिमोण । केशीस्वामी मुखथी एवी वाणी सांभली, साची साची हुई ते मारे अमृत वाण ॥ हा० ॥ २ ॥ चौदे स्वप्ने होवे चक्री के जिनराज, वित्या बारे चक्री नहीं हवे चक्रीराज । जिनजी पास प्रभुना श्री केशीगणधार, तेहने वचने जाण्या चोवीसमा जिनराज ॥ हा० ॥ ३ ॥ मारी कुखे आव्या तारण तरण जहाज, मारी कुखे अाव्या त्रणभुवनो शिरताज | मारी कुखे आव्या संघ तीरथनी लाज, हुं तो पुण्य पनोती इन्द्राणी थइ आज हा०॥४॥ मुजने दोहलो उपन्यो जई बेसुगज अंबाडीए, सिंहासन पर बेसुचामर छत्र धराय । ए सहु लक्षण मुजने नंदन ताहरा तेजना, ते दिन संभारु ने आनंद अंग न माय ॥ हा० ॥ ५ ॥ करतल पगतल लक्षण एक हजार ने आठछे, तेहथी निश्चय जाण्या जिनवर श्रीजगदीश । नंदन जमणी जंघे लंछन सिंह विराजतो, मैं तो पहले सुपने दीठो वीसवावीस । हा० ॥ ६ ।। नंदन नवला बंधव नंदिवर्धनना तमे, नंदन भोजाइअोना देवर को सुकुमाल | हससे भोजाइअो कही दीयर माहरा लाडका, हससे रमशे ने वली चूटी-खणशे गाल, हससे रमशे ने वली टुसा देशे गाल | हा० ।।७|| नंदन नवलो चेडा राजाना भाणेज छो,
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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