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________________ . [१२२] ।। ह० ॥ २१ ॥ सात सयांते केवलनाणी, लब्धिधारी पण तेता। विपुलमतिया पांचशे कहीया, चारशें वादी जित्यां रे ॥ ह० ॥ २२ ॥ सातशें अंतेवाशी सिध्या, साधवी चौदर्श सार । दिन दिन तेज सवाई दीपे, प्रभुजीनो परिवार रे ॥ ह० ॥ २३ ॥ त्रीस वरस घरवासे वसीया, बार वरस छद्मस्थे । त्रीस वरस केवल बेंतालीश, वरस ते समणामधेरे ॥ ह० ॥२४॥ बरस बहोतेर केरु आयु, वीर जिणंदनु जाणु । दीवाली दिन स्वाति नक्षत्रे, प्रभुजीनो निर्वाण रे ॥ ह० ॥ २५ ॥ पंचकल्याणक एम वखाण्यां, प्रभुजीना उल्लासे । संघ तणे आग्रह हरख भरीने, सुरत रही चोमासु रे ॥ ह० ॥ २६ ॥ कलश इम चरम जिनवर सयल सुखकर, थुण्यो अति उलट धरी। अषाढ उज्वल पंचमी दिने, संवत् सत्तर तीहोंतरें ॥ भाद्रवा शुद पडवा तणे दिन, रविवारे उलट भरो । श्री विमल विजय उवज्झाय पंकज, भमर सम शुभ शिष्यए । रामविजय जिनवर नामे, लहिये अधिक जगीश ए ॥१॥ ०००००००००००००००० ११ महावीर स्वामी का हालरीयु माता त्रिशला भुलावे पुत्र पालणे, गावे हालो हालो हालरुबानां गीत । सोना रुपाने वली रत्ने जडियु पालणु,
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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