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________________ [४] बालचन्दजी ने पिपलीबाजार में सुन्दरबाई महिला श्रम के लिये मकान ले रखा था, परन्तु ५०००) रु. मकान वाले के देने बाकी रहे थे यह बात मालूम होने से बहिनों की टीप में से ५०००) रु. इस शर्त पर दिये के ऊपर हमेशा के लिये हमारा उपाश्रय नीचे आपका स्कूल रहेगा, इस बात को सेठानी सुन्दरबाई विगेरा ने स्वीकार करी जो २०००) रू. टीप के रहे थे उन रुपयों से जीतमलजी छाजेड़ द्वारा नीचे स्कूल लायक ऊपर उपाश्रय लायक मकान सुधराया, नीचे शुभ मूहू त देखकर स्कूल चालु कराया और ऊपर बहिनों का धर्म कार्य करना शुरु हुआ, उपाश्रय का शुभ नाम जैन श्वेताम्बर धर्मोतेजक महिला मंडल रखा, ऐसे अनेक धर्म कार्य संसारी पने में किये व कराये । व्रत अंगीकार इसके सिवाय और भी सत समागम से व्रत आदि धर्म कार्य में दिनों दिन वृद्धि होती गई । पहिले प्रात्म शुद्धि के लिये भव आलोयणा ली, नवपदजी अोली, वीस स्थानक की अोली, २४ जिन के कल्याणक, ज्ञान पंचमी, ग्यारस, रोहिणी तप, वर्धमान तप की २५ अोली आदि शुभ व्रत किये बारा व्रत ग्रहण किये इन व्रतों का शक्ति प्रमाणे उजमणा किया।
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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