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________________ [३] छः कर्म ग्रन्थ, वृहत संग्रहणी, क्षेत्र समास आदि का मूल अर्थ सहित अभ्यास किया। सरकारी स्कूल में १० वर्ष पढ़ाने का कार्य किया उसके पीछे श्रीमती जड़ावबाई ने अपने पति दानवीर सेठ बालचन्दजी छाजेड़ को कहा कि अपने इन्दौर शहर में धार्मिक पढ़ाई कि विशेष आवश्यकता है, इसलिए अपनी तरफ से धार्मिक पाठशाला खोलनी चाहिये जिससे बहिनों और बालीकानों को धार्मिक और व्यवहारिक ज्ञान का दान देना चाहिए । सेठ साहेब ने अपनी पत्नी का वचन स्वीकार किया। अपनी भोजाई सुन्दरबाई के नाम से महिला आश्रम खोला फिर सेठजी ने श्रीमती मिश्रीबाई को सरकारी स्कूल से तबदीली करवा के हेड मिस्ट्रेस कि जगह पर नियुक्त किये । पूज्य गुरुदेव ने अपने बुद्धि बल से ५ मास्टरनी अपने हाथ नीचे रखकर खूब ज्ञान दान दिया और धर्म कि वृद्धि कि, इस पद पर १० वर्ष रहकर श्री जैन श्वेताम्बर धर्मोतेजक महिला मंडल की स्थापना करी और इसी महिला मंडल के नाम लायब्ररी की स्थापना भी करवाई । बहिनों को सद्उपदेश देकर टीप कराई और अष्टापद पर्वत कि रचना करवा के श्री आदिनाथजी के मन्दिर में प्रतिष्ठा कराई और उपाश्रय कि भी विशेषकर जरुरत थी फिर गुरुदेव ने बहिनों से टीप करवाकर ७०००) रु. इक? किये इस वक्त सेठ
SR No.032213
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShiv Tilak Manohar Gunmala
PublisherShiv Tilak Manohar Gunmala
Publication Year1964
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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