SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 195 पार्थनाथ के, चंद्रप्रभ भगवंत नमुं रे लोल; प्रभुजी मंडपमां भगवंतो जोई, हुं तो दर्शन करूं रे लोल; प्रभुजी भमतीमां भमुं के, भवदुःख कापजो रे लोल, प्रभुजी ज्यां ज्यां जिन भगवंतो के, मारा क्रोडो दर्शन हजो रे लोल. ३ प्रभुजी आव्यां सिद्धचक्रजी के, दर्शन करी पावन थाउं रे लोल, प्रभुजी गिरिवरीओ चडतां के, मन हरखे घणुं रे लोल; प्रभुजी जमणा हाथे सरस्वती के, विद्या आपजो रे लोल, प्रभूजी आव्या नेमीनाथना पगलां के, दर्शन करी थाउं रे लोल. ४ प्रभुजी आव्या हिंगलाज हडो के, केडे हाथ दई चडो रे लोल; प्रभुजी आव्यो हनुमान हडो, नवे ढूंके चालो रे लोल; प्रभुजी आवी पहेली टुंक, अभिनंदन भगवंत नमुं रे लोल; प्रभुजी शांतिजिन चंद्रप्रभ के मरूदेवी माता नमुं रे लोल. ५ प्रभुजी धन्य धन्य मरूदेवी माता के, जेनी कुखे रतन पाक्यां रे लोल; प्रभुजी चोमुखजी देखें ने, आनंद उल्लसे रे लोल; प्रभुजी ज्यां ज्यां जिन भगवंतो के, क्रोडो मारा दर्शन होजो रे लोल; प्रभुजी आव्या बीजी टुंक के, आदिधर भगवंत नमुं रे लोल. ६ प्रभुजी नेमिनाथ अजितनाथ, शांतिनाथ भगवंत नमुं रे लोल; प्रभुजी नंदिषेण सूरिश्चरे, अजितशांतिनी तिहां रचना करी रे लोल; प्रभुजी आव्या त्रीजी टुंक के, चिंतामणी पार्थ प्रभु रे लोल, प्रभुजी भमतीमां भमुं के, पाप निवारजो रे लोल. प्रभुजी आव्या चोथी टुंक के, नंदिवरद्विप नमुं रे लोल; प्रभुजी बसो अट्ठावीस तीर्थंकर, बावन जिनालय नमुं रे लोल, प्रभुजी आव्या पांचमी टुंके के, अजितनाथ भगवंत नमुं रे लोल, प्रभुजी भमतीमां भमुं के, पाप निवारजो रे लोल, प्रभुजी बे बाजु बे देरासर के, पुंडरीक स्वामीनां दर्शन करूं रे लोल. ८ प्रभुजी आव्या छठी टुंक के, आदेश्वर भगवंत नमुं रे लोल, प्रभुजी भमतीमां भमुं के, पाप निवारजो रे लोल; प्रभुजी देराणी जेठाणीना गोखला के, पार्श्वनाथ भगवंत नमुं रे लोल, प्रभुजी पार्थजिन भगवंत के, अरबी समुद्रमांथी प्रगट थया रे लोल; प्रभुजी माणेकबाई मटको, करी बेसी गया रे लोल. ६ प्रभुजी आव्या अदबदजी दादा के आश्चर्यकारक भगवंत नमुं रे लोल, प्रभुजी सातमी बालाभाईनी टुंक के, आदेश्वर भगवंत नमुं रे लोल; प्रभुजी चार बाजु चार देरासर के, पुंडरीक गणधरं रे लोल; प्रभुजी आठमी मोतीशानी टुंक के, धन्य धन्य मोतीशा शेठजी रे लोल; प्रभुजी सोळ शिखरबंधी देरासर के, क्रोडो मारा दर्शन
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy