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________________ 196 जो रे लोल. १० प्रभुजी आवी मोतीशा दीठे झाकझमाळ के जोयानी कती बनी रे लोल; प्रभुजी पहेली भमती फरूं के पाप निवारजो रे लोल; प्रभुजी नाभिराजा मरूदेवी माता के खोळे ऋषभ बेटडो रेलोल. ११ प्रभुजी पुंडरीकजी गणधर देखुं के आनंद उल्लसे रे लोल, प्रभुजी आठमी टुंक मूळ नायक, आदेश्वर में तो दर्शन कर्या रे लोल; प्रभुजी माणेकना दादानी साथिया के रत्नना भगवंत नमुं रे लोलः १२ प्रभुजी नवमी दादानी ट्रंक के, दर्शन करवानो उमंग घणो रे लोल, प्रभुजी चक्केसरी जिनशासन रखवाळ के, संघने सहाय करे रे लोल, प्रभुजी शांतिजिन भगवंत के, शांति आपजो रे लोल. १३ प्रभुजी शांतिनाथ ने सामे, पांचे तीरथ नमुं रे लोल, आबु अष्टापद, गिरनार, समेतशिखर शत्रुंजय सार; पांचे तीरथ उत्तम ठाम, सिद्धि वर्या तेने करूं प्रणाम, प्रभुजी ऋण गढना देरासरे समवसरणमां चौमुखजी नमुं रे लोल; प्रभुजी शत्रुंजय रखवाल के कवडजक्ष देव आव्या रे लोल; प्रभुजी नेमनाथनी चोरी के, पुन्य पापनी बारी आवी रे लोल. १४ प्रभुजी अमीझरा पार्श्वनाथ भगवंत, अमीरस आपजो रे लोल; प्रभुजी आव्या मोटा आदेश्वर के, दर्शन में कर्या रे लोल, प्रभुजी कपंडवंजना दहेरा ने, सो स्थंभना प्रासादे, चौमुखजी नमुं रे लोल, प्रभुजी आव्या कुमारपाळना दहेरे के, आदेश्वर भगवंत नमुं रे लोल; प्रभुजी ज्यां ज्यां जिन भगवंतो, क्रोडो मारा दर्शन होजो रे लोल, १५ प्रभुजी आव्या सूरजकुंड के, निर्मळ जळ भर्या रे लोल; प्रभुजी आव्या रतनपोळ के, मंडप रळियामणो रे लोल; प्रभुजी आव्यो मूळ गभारो के, आदेश्वर भेटीया रे लोल. १६ प्रभुजी आदिश्वरने भेटतां भवदुःख जाय के शिवसुख आपजो रे लोल; प्रभुजी देखी दर्शन करूं के, मारी आंखो ठरे रे लोल. १७ प्रभुजी तुमथी नहीं रहुं दूर के, जई गिरिपंथे वस्या रे लोल; प्रभुजी डाबा सहस्रकूट भगवंत के, मारा क्रोडो दर्शन होजो रे लोल; प्रभुजी आव्या नवा आदेश्वर के, पूजन में कर्या रे लोल; प्रभुजी पांच मोटा भगवंत के, परमेष्ठी भगवंत नमुं रे लोल. १८ प्रभुजी सुमतिनाथ भगवंत, सारी मति आपजो रे लोल; प्रभुजी बालब्रह्मचारी नेम के, दर्शन करी पावन थाउं रे लोल; प्रभुजी मेरुं उपर चार भगवंत के, चौमुखजी भला रे लोल; प्रभुजी गोळाकारे समेतशिखरे, वीश तीर्थंकर नमुं रे लोल. १६ प्रभुजी वीश विहरमान जिन वंदु के, महाविदेह क्षेत्र सोहामणुं
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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